किसी की सिर्फ उपस्थिति, और कुछ नहीं... वह प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है कुछ भीतर खिलना शुरू होता है तो प्रेम में हैं.... किसी के साथ होने भर से हृदय में गहरे कुछ तुष्ट हो जाता है हृदय में कुछ संगीत शुरू होता है हृदय ताल से ताल मिला लेता है तो प्रेम में हैं... प्रेम जुनून नहीं प्रेम गहरी समझ है प्रेम स्वयं को पूरा करता है.. किसी अन्य की उपस्थिति स्वयं की उपस्थिति को बढ़ाती है प्रेम स्वयं होने की स्वतंत्रता देता है यह स्वामित्व नहीं है...
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी