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Showing posts from September, 2016

कंचा

पाठ योजना कक्षा – सातवीं विषय - हिंदी पाठ- कंचा समयावधि – अक्टूबर 2016 पाठ का संक्षिप्त परिचय – कंचा कहानी मलयालम भाषा की कहानी हिंदी में अनुवादित कर पाठ्यक्रम में शामिल की गई है | टी पद्मनाभन द्वारा रचित कहानी बाल मन को बड़ी ही सरलता से उकेरती है| बच्चों का मनोविज्ञान कंचा के माध्यम से प्रस्तुत है जब बच्चा किसी अनोखी चीज को देखता है तो उसके सौन्दर्य में खो जाता है| इस कहानी में कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। कंचों का जार का आकार आसमान के समान बहुत ऊँचा हो गया है और वह उसके भीतर अकेला है। वह चारों ओर बिखरे हुए कंचों से मजे से खेल रहा था। मास्टर जी कक्षा में पाठ "रेलगाड़ी" का पढ़ा रहे थे। उसे मास्टरजी द्वारा बनाया गया बॉयलर भी कंचे का जार ही नज़र आता है। इस   चक्कर में मास्टर जी से डाँट भी खाई लेकिन उसके   दिमाग में   केवल कंचों का खेल चल रहा   था।   दूकानदार ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा चंचल बालक है। पहले तो दुकानदार उससे परेशान होता है क्योंकि वह कंचों को केवल   देख रहा है कहीं उससे जार

रहीम के दोहे कक्षा 7

पाठ योजना कक्षा – सातवीं विषय - हिंदी पाठ- रहीम के दोहे समयावधि – अक्टूबर 2016 पाठ का संक्षिप्त परिचय – भक्तिकाल   हिन्दी साहित्य में रहीम का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने अरबी , फ़ारसी , संस्कृत , हिन्दी आदि का गहन अध्ययन किया। वे राजदरबार में अनेक पदों पर कार्य करते हुए भी साहित्य सेवा में लगे रहे। रहीम का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। वे स्मरण शक्ति , हाज़िर – जवाबी , काव्य और संगीत के मर्मज्ञ थे। वे युद्धवीर के साथ – साथ दानवीर भी थे। अकबर के दरबारी कवि गंग के दो छन्दों पर रीझकर इन्होंने 36 लाख रुपये दे दिए थे। रहीम ने अपनी कविताओं में अपने लिए ' रहीम ' के बजाए ' रहिमन ' का प्रयोग किया है। वे इतिहास और काव्य जगत में   अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना   के नाम से प्रसिद्ध हैं। रहीम   मुसलमान   होते हुए भी   कृष्ण   भक्त थे। उनके काव्य में नीति , भक्ति – प्रेम तथा शृंगार आदि के दोहों का समावेश है। साथ ही जीवन में आए विभिन्न मोड़ भी परिलक्षित होते हैं । कक्षा 7 में रहीम के पांच दोहों का संकलन किया गया है | पहले दोहे में सच्चे मित्र की पहचान बताई है | परोपकार म

घर की याद

पाठ योजना कक्षा –  ग्यारहवीं विषय - हिंदी पाठ-घर की याद (भवानी प्रसाद मिश्र) समयावधि – अक्टूबर पाठ का संक्षिप्त परिचय – भवानी प्रसाद मिश्र की कविता हिंदी की सहज ले की कविता है| इस सहजता का सम्बन्ध गांधी के चरखे की ले से जुड़ता है इसीलिए उन्हें कविता का गांधी भी कहा जाता है| मिश्र जी की कविताओं में बोल-चाल के गद्यात्मक-से लगते वाक्य-विन्यास को ही कविता में बदल देने की अद्भुत क्षमता है| इसी कारण उनकी कविता सहज और लोक के अधिक करीब है| भवानी प्रसाद मिश्र जिस किसी विषय को उठाते हैं उसे घरेलू बना देते हैं – आँगन का पौधा, शाम और दूर दिखती पहाड़ की नीली चोटी भी जैसे परिवार का एक अंग हो जाती है | वृद्धावस्था और मृत्यु के प्रति भी एक आत्मीय स्वर मिलता है| उन्होंने प्रोढ़ प्रेम की कविताएँ भी लिखीं हैं जिनमें उद्दाम श्रंगारिकता की बजाय सहजीवन के सुख-दुःख और प्रेम की व्यंजना है| नई कविता के दौर के कवियों में मिश्र जी के यहाँ व्यंग्य और क्षोभ भरपूर है किन्तु वह प्रतिक्रियापरक न होकर सृजनात्मक है | गांधीवाद पर आस्था रखने के कारण उन्होंने अहिंसा और सहनशीलता को रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है| घ

स्पीति में बारिश

पाठ योजना कक्षा - ग्यारहवीं विषय - हिंदी पाठ-स्पीति में बारिश (कृष्ण नाथ) समयावधि – अक्टूबर पाठ का संक्षिप्त परिचय – स्पीती में बारिश पाठ एक यात्रा वृतांत है | स्पीति, हिमाचल के मध्य में स्थित है | यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है | लेखक ने इस पाठ में स्पीति की जनसंख्या, ऋतु, फ़सल, जलवायु तथा भूगोल का वर्णन किया है जो परस्पर एक दूसरे से सम्बंधित हैं | पाठ में दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई जीवन का भी वर्णन किया गया है | कुछ युवा पर्यटकों का पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है | ठन्डे रेगिस्तान जैसे स्पीति के किए उनका आना, वहाँ बूँदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है | क्रियाकलाप पाठ को उचित लय, यति और गतिपूर्वक वाचन ,प्रश्नोत्तरी | गृहकार्य – पाठ्य पुस्तक से अभ्यास प्रश्नों के उत्तर लिखना | शिक्षक का नाम – पद – पी.जी.टी. हिंदी                                                                     प्राचार्य 

राम-लक्षमण-परशुराम संवाद -भावार्थ (पाठ योजना)

कक्षा 10 के अन्य सभी पाठों के PDF/Audio/Vidio/Quiz पाठ योजना कक्षा – दसवीं विषय - हिंदी पाठ- राम-लक्षमण-परशुराम संवाद (तुलसीदास) समयावधि –  पाठ का परिचय (भावार्थ) – नाथ संभुधनु भंजनिहारा , होइहि केउ एक दास तुम्हारा।। आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।। सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई।। सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।। सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा॥ सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने॥ बहु धनुहीं तोरीं लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं॥ एहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥ रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न सँभार। धनुही सम तिपुरारि धनु बिदित सकल संसार।।   अर्थ - परशुराम के क्रोध को देखकर श्रीराम बोले - हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोडऩे वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है , मुझसे क्यों नहीं कहते। यह सुनकर मुनि क्रोधित होकर   बोले की सेवक वह होता है जो सेवा करे , शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम! सुनो , जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है , वह स