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Showing posts from September, 2022

कौए

 आंसू है दु:खी कौओं  की आंखों में  गहरे सदमे में हैं नहीं ग्रहण किए अन्न का एक भी कण आज  दरअसल‌  निरंतर निर्मम प्रहार किया गया है इनकी चोंचों पर  सभ्य मानवों द्वारा आज भी दर-दर भटक रहे हैं  पूर्वजन्म की गलती से अपनी रिहाई की अर्जी लिए छत की मुंडेर पर  रोज घंटे दो घंटे बैठकर   उड़ जाते हैं  फिर निराश होकर अपने सीने में दफ़नाते हैं  उपेक्षा के दर्द को  भूखे प्यासे  आस लगाए  थक जाते हैं  और पेट सहलाते हुए सो जाते हैं नहीं देख रहे हैं  पितृ विसर्जन पर  अन्न की तरफ़  क्योंकि उनकी अतृप्त आत्मा नहीं गवाही दे रही है अन्न का एक कण भी छूने की सम्पूर्णानंद मिश्र शिवपुर वाराणसी 7458994874

उजड़ने पर

 चिड़िया अनशन करती है कुछ समर्थ चिड़ियों को लेकर  उजड़ने पर  अपना घोंसला  विरुद्ध हुए अपने इस  असहनीय अमानवीय अत्याचारों के ख़िलाफ़  रक्तिम नेत्रों से   ढूंढ़ती है  उस हूण को  शहर की तरफ़ क्योंकि  उजड़ने की पीड़ा वह जानती है  और असमय का उजाड़ निर्दोष को दिए गए किसी मृत्युदंड से कम नहीं है सम्पूर्णानंद मिश्र शिवपुर वाराणसी 7458994874