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Showing posts with the label हिंदी-7

himalayakibetiyanpathyojna

Annexure – 1 Lesson Plan –Teachers Diary [A] Planning Format Class/Section… VII B ……… Subject… हिंदी …Chapter हिमालय की बेटियां . No. of periods……08… Date of Commencement…20-06-2017 Expected date of completion…30-06-2017……… Actual date of Completion…30-06-2017 Gist Of The  lesson Targeted learning outcomes (TLO) Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED Focused skills/Competencies हिमालय की बेटियाँ पाठ में लेखक को हिमालय की गोद में बहने वाली नदियाँ संभ्रांत महिला की तरह प्रतीत होती थीं लिकिन हिमालय पर चढ़कर देखने पर यह विशाल काय दृष्टी गोचर होती हैं | काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है | इन्हें बेटियों बहन, प्रेयसी आदि रूपों में भी प्रतिस्थापित किया है | हिमालय की श्रेष्ठता से बच्चों को अवगत कराना | प्रकृति के प्रति अनुराग उत्पन्न करना | हिमालय की गोद से निकलने वाली नदियों की उपयोगिता से परिचित कराना | हिमालय की महानता...

mithaivalapathyojna

Lesson Plan –Teachers Diary [A] Planning Format Class/Section… VII B ……… Subject… हिंदी …Chapter मिठाईवाला  . No. of periods……2 1 … Date of Commencement…........ Expected date of completion…......……… Actual date of Completion…...... Gist Of The  lesson Targeted learning outcomes (TLO) Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED Focused skills/Competencies मिठाईवाला इस कहानी में मिठाईवाला के माध्यम से बच्चों के प्रति प्रेम को व्यक्त किया गया है | मिठाईवाला फेरी लगाकर बच्चों के खिलौने, मिठाई आदि जो बच्चों को प्यारी होती हैं बेचता है | वह काम दाम पर कभी कभी बिना दाम के भी बच्चों को खिलोने दे देता है | मिठाईवाले के पुत्र की असमय मृत्यु होने के कारण वह सभी बच्चों में अपने बच्चों को ही देखता है | इस कहानी के माध्यम से लेखक परिस्थिति को स्वीकार कर आनंद पूर्ण जीवन जीने की कला की और इशारा करता है | जीवन के प्रति आशावादी और सकारात्मक दृष्टिको...

Kathputlipathyojna

Annexure – 1 Lesson Plan –Teachers Diary [A] Planning Format Class/Section… VII B ……… Subject… हिंदी …Chapter कठपुतली,  . No. of periods……2 1 … Date of Commencement......... Expected date of completion…....……Actual date of Completion…........ Gist Of The  lesson Targeted learning outcomes (TLO) Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED Focused skills/Competencies कठपुतली इस कविता में कठपुतलियाँ स्वतंत्रता की इच्छा से स्वयं अपनी बात व्यक्त कर रही हैं | उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनानेवाली चुनौतियाँ हैं | धागे में बँधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन हैं | इन्हें दूसरों के इशारे पर नाचने से दुःख होता है | दुःख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है | वह अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है | उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है | स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता | लेकिन, जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है,...

Kathputli solution कठपुतली प्रश्नोत्तर

पाठ 4 - कठपुतली (कविता) हिंदी वसंत भाग - II   1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?  उत्तर - कठपुतली धागे से बाँधकर रखा जाता था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र रहना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। धागे से बँधे रहना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।   2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?  उत्तर - कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है किन्तु वह खड़ी इसलिए नही होती क्योंकि उसके पास स्वतंत्र रूप से खड़े हो सकने की क्षमता नहीं है। जब सारे कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी उस पर आती है तो उसे लगता है कि कहीं उसका यह कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे।  3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्य&##2379;ं अच्छी लगी?  उत्तर - पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए अच्छी लगी क्योंकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है।वे भी बंधन में दुखी हो चुकी थीं और अपना जीवन इच्छानुसार जीना चाहती थीं।  4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि - 'ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन...

Viplav gayan solution विप्लव गायन प्रश्नोत्तर कक्षा 7

1. 'कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ..... कालकूट फणि की चिंतामणि'  (क) 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?  कवि 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश का भाव नव-निर्माण और जनता को जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुए हैं। (ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' - पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है? वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' में आपसी संबंध बनता है क्योंकि कवि इन पंक्तियों में आवेशपूर्वक जनता को जागृत करना चाहते है परंतु उसके कंठ से वह गीत बाहर नहीं आ सकता जिससे वह और भी अधिक अधीर हो जाता है। 2. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए - 'सावधान ! मेरी वीणा में ...... दोनों ऐंठी हैं।' इस पंक्ति में कवि लोगों को परिवर्तन के प्रति सावधान करता है और वीणा से कोमल स्वर निकालने की बजाय कठोर स्वर निकलने के...

Aashram kaa anumaanit vyay solution आश्रम का अनुमानित व्यय

1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गाँधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगें? गाँधी जी आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना चाहते होंगें इसलिए वह पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि खरीदना चाहते होंगें। 2. गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उनपर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती का पता चलता है? गांधीजी बचपन में स्कूल हमेशा समय पर जाते और छुट्टी होते ही घर वापस चले आते। वे समय के पाबंद इंसान थे। वे कभी भी फिजूलखर्ची नहीं करते थे यहाँ तक कि पैसा बचाने के लिए वे कई बार कई किलोमीटर पैदल यात्रा करते थे क्योंकि उनका मानना था कि धन को जरुरी कामों में ही खर्च करना चाहिए। कुछ किताबों के इन अंशों से हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती पता चलता का है। 3. मान लीजिए आप को कोई बाल आश्रम खोलना ...

संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया: धनराज (साक्षात्कार)-7th अभ्यास

1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है वर्णन कीजिए।  साक्षात्कार के अनुसार धनराज पिल्लै खुले दिल के, सीधे-सरल और भावुक व्यक्ति हैं। वे बड़े ही कठिन आर्थिक संघर्षों से गुजरे जिससे वह अपने आप-को असुरक्षित समझने लगे थे। उन्हें गुस्सा बहुत अधिक आता है परन्तु वह अपने घर-परिवार की बहुत इज्जत करते हैं। उन्हें अपनी प्रसिद्धि पर जरा भी अभिमान नहीं है। लोगों को लगता है कि उनके स्वभाव में तुनक-मिजाजी आ गई परन्तु आज भी वे सरल व्यक्ति हीं हैं।  2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।  धनराज पिल्लै की ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा बहुत ही संघर्षपूर्ण है। उनका एक बहुत गरीब परिवार में जन्म हुआ। इनसे बड़े दो भाई हॉकी खेलते थे जिसे देख इन्हें भी खेलने का शौक हुआ परन्तु स्टिक खरीदने के पैसे नही थे। ये अपने साथियों से स्टिक उधार मांग कर खेलते थे। इन्हें अपनी पहली हॉकी स्टिक तब मिली जब इनके बड़े भाई का चयन भारतीय कैंप के लिए हुआ। तब इनके ब...