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Showing posts from April, 2022

फीचर लेखन

‘फ़ीचर’ (Feature) अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के फैक्ट्रा (Fectura) शब्द से हुई है। विभिन्न शब्दकोशों के अनुसार इसके लिए अनेक अर्थ हैं, मुख्य रूप से इसके लिए स्वरूप, आकृति, रूपरेखा, लक्षण, व्यक्तित्व आदि अर्थ प्रचलन में हैं। ये अर्थ प्रसंग और संदर्भ के अनुसार ही प्रयोग में आते हैं। अंग्रेज़ी के फ़ीचर शब्द के आधार पर ही हिंदी में भी ‘फ़ीचर’ शब्द को ही स्वीकार लिया गया है। हिंदी के कुछ विद्वान इसके लिए ‘रूपक’ शब्द का प्रयोग भी करते हैं लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्तमान में ‘फ़ीचर’ शब्द ही प्रचलन में है। फीचर का स्वरूप समकालीन घटना या किसी भी क्षेत्र विशेष की विशिष्ट जानकारी के सचित्र तथा मोहक विवरण को फीचर कहा जाता है। इसमें मनोरंजक ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है। इसके संवादों में गहराई होती है। यह सुव्यवस्थित, सृजनात्मक व आत्मनिष्ठ लेखन है, जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर में विस्तार की अपेक्षा होती है। इसकी अपनी एक अलग शैली होती है। एक विषय पर लिखा गया फीचर प्रस्तुति विविधता के का

शंखनाद

पूर्णसत्य तो युधिष्ठिर भी नहीं चाहते थे जिन्हें माना जाता था सत्यनिष्ठ वे राज़ी थे सुविधाजनक सत्य पर सत्य  सुविधाजनक हो तो आसानी से बदला जा सकता है असत्य से सत्य छिपाया जा सकता है शंख बजाकर घड़ियाल नगाड़े बजाकर उसके बाद कभी ज़िक्र नहीं होता सत्य का कथाओं में बची रहती है स्तुति शंख की बनी रहती है संभावना शंखों-नगाड़ों की जिसके पास होगा  शंख वह बदलता रहेगा सत्य को  असत्य से और एक दिन मान लिया जाएगा शंख ही सत्य है सत्य ही शंख है प्रो. हूबनाथ