चकाचौंध की दुनिया घुल गया है ज़हर चकाचौंध की दुनिया में जहां हर चेहरा एक राजदार है और उसकी सोच उतनी ही धारदार है इस दुनिया की रेल- पटरी से ड्रग्स, चरस, गांजा और अफ़ीम की न जाने कितनी गाड़ियां सुबह से पूरी रात तक निर्विघ्न दौड़ती रहती हैं और उसे अंतिम स्टेशन तक पहुंचाने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उन सुरक्षाकर्मियों के कन्धों पर है जिनके पेट की धधकती जठराग्नि की लपट को नहीं बुझाया जा सकता बिना आत्मविक्रेता हुए वैसे रेल की पटरियां अपने देश में मुगलसराय रेलवे ब्रिज के नीचे से सुदीर्घ यात्रा करती हैं एवं रेल की समय- तालिका से पूर्व इन गाड़ियों को पहुंचाने का उत्तरदायित्व उन गार्ड और ड्राइवर को ही है जो हरे कपड़ों की अपेक्षा अपने मुंह पर काले रूमाल बांधे हुए हैं और ठीक पुल के नीचे ही चूल्हे की लौ की मद्धिम रोशनी दिखलाई पड़ती है अनवरत जलती रहे यह लौ इसकी पूरी ज़वाबदेही खानाबदोश स्त्रियों के हिजड़ों जैसे मर्दों की ही है जिसमें वे निरंतर नाकाम हैं। इस विकासशील देश में यह भी एक दर्शनीय तस्वीर है जिसे नग्न आंखों से प्रतिदिन हम लोग देखते हैं नजरअंदाज भी करते ह
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी