मनुष्य का हाल,
उस रेलगाड़ी की तरह है
जिसमें विपरीत दिशाओं में
इंजन लगे हों ......
मनुष्य चाहता स्वतंत्रता है
परम मुक्ति चाहता है...
पर हजार हजार
खूँटियों से बांधता जाता है
धन की, पद की, प्रतिष्ठा की....
धन खूंटी नहीं है
खो जाने का डर खूंटी है
पद खूंटी नहीं है
छूट जाने का डर खूंटी है
प्रतिष्ठा खूंटी नहीं है
अपमान का भय खूंटी है...
शुभ प्रभात...!
उस रेलगाड़ी की तरह है
जिसमें विपरीत दिशाओं में
इंजन लगे हों ......
मनुष्य चाहता स्वतंत्रता है
परम मुक्ति चाहता है...
पर हजार हजार
खूँटियों से बांधता जाता है
धन की, पद की, प्रतिष्ठा की....
धन खूंटी नहीं है
खो जाने का डर खूंटी है
पद खूंटी नहीं है
छूट जाने का डर खूंटी है
प्रतिष्ठा खूंटी नहीं है
अपमान का भय खूंटी है...
शुभ प्रभात...!
शुभ प्रभात🌷
ReplyDeleteशुभ प्रभात
DeleteVery nice sir
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