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Showing posts from August, 2019

Enjoy Being बस होना, होने का आनंद

हमने जीवन में करने की ही एकमात्र दिशा जानी है , न - करने की हमने कोई दिशा नहीं जानी । तो हमें पता ही नहीं ! जब हम कहते हैं किसी से प्रेम की बात , तो भी हम उससे कहते हैं कि मैं प्रेम करता हूं ! हालांकि जिनको भी कभी प्रेम का अनुभव हुआ होगा , उन्हें पता है कि प्रेम किया नहीं जाता । वह क्रिया नहीं है । प्रेम कर ही नहीं सकते । प्रेम घटता है । प्रेम होता है , किया नहीं जा सकता । लेकिन हम तो प्रेम को भी करने की भाषा में सोचते हैं ! हमारी करने की आदत इतनी मजबूत हो गई है कि हम जो भी सोच सकते हैं , वह करने की भाषा में ही सोच सकते हैं । हम तो यह भी कहते हुए सुने जाते हैं कि श्वास लेते हैं । हालांकि हमने कभी श्वास नहीं ली अपने जीवन में अभी तक और न कभी ले सकते हैं । श्वास चलती है । कुछ न करना , कुछ भी न करना, बस होना होने का आनंद ।