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Showing posts from March, 2021

चटक रंग

  नहीं खिलते अब रंग        क्योंकि  घोर दिए गए हैं इसमें अपाहिज़ मां के आंसू  लाचार पिता की छटपटाहट  बेवा बहन की चुप्पी  छल-कपट का धतूरा  नफ़रत के घेवर तो फिर कैसे चटक हो सकते हैं रंग प्रेम के नहीं जब तलक मां का आशीर्वाद पिता के चेहरे पर  संतोष की व्याप्ति बेवा बहन की   फटी हुई ज़िंदगी की  साड़ियों में विश्वास की तुरपाई  मजलूमों के अंधियार जीवन में उम्मीदों की एक लौ  समाज व राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक  जिम्मेदारियों के जल  को घोरा जायेगा तब तक नहीं हो   सकते हैं चटक रंग प्रेम के डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र प्रयागराज फूलपुर 7458994874

सुख दुःख बाह्य वृत्तियाँ हैं शिवत्व को उपलब्ध व्यक्ति सतत जानता है- शिवरात्री की शुभकामनाएं

 शिव सूत्र में भगवान शिव कहते हैं - सुख दुख दोनों बाह्य वृत्तियाँ हैं सतत जानो