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Showing posts from July, 2021

सी बी एस ई कक्षा 11 हिंदी CBSE Class XI solution

 सी बी एस ई कक्षा 11 हिंदी CBSE Class XI solution  माह विस्तृत पाठ्यक्रम अप्रैल-जून 1.नमक का दरोगा- प्रेमचंद    2.1-हम तो एक-एक करि जाना 2.2.संतो देखत जग बौराना – कबीर 3.अपठित बोध 4.कार्यालयी पत्र की पद्धति और नमूने जुलाई 1.मियाँ नसीरूद्दीन-कृष्णा सोबती 2.(क)मेरे तो गिरधर गोपाल , दूसरो न कोई   (ख) पग घुंघरू बांधि मीरा नाची – मीरा बाई 3. भारतीय गायिकाओं में  बेजोड़ लता मंगेशकर – कुमार गन्धर्व 4.जनसंचार माध्यम और पत्रकारिता के विविध आयाम 5.समाचार लेखन अगस्त 1.अपू के साथ ढाई साल- सत्यजित राय 2.पथिक-रामनरेश त्रिपाठी 3.राजस्थान की रजत बूँदें- अनुपम मिश्र 4.रोजगार सम्बन्धी पत्र 5.अपठित बोध-   अपठित गद्यांश / अपठित पद्यांश   6.निबंध- समसामयिक सितम्बर 1.विदाई संभाषण- बालमुकंद गुप्त 2.गलत लोहा-शेखर जोशी 3.वे आँखे- सुमित्रानंदन पंत 4.स्ववृत्त लेखन की विधि और नमूने 5. रिपोर्ट ,       आलेख 6.निबंध-सम्माजिक विषयों पर अक्टूबर 1.स्पीती में बारिश- कृष्णनाथ 2.घर की याद- भवानी प्रस

कक्षा 12 CBSE (हिंदी कोर) अभ्यास Class 12th Hindi Solution

कक्षा 12 (हिंदी कोर) अभ्यास अप्रैल 1. आत्म परिचय ,  एक गीत- हरिवंश राय बच्चन  2.भक्तिन – महादेवी वर्मा 3.सिल्वर वैडिंग- मनोहर श्याम जोशी 4. जनसंचार एवं पत्रकारिता जनसंचार एवं परकारिता प्रश्न  प्रिंट माध्यम प्रेजेंटेशन Sway रेडियो Sway दूरदर्शन प्रजेंटेसन Sway पत्रकारीय लेखन  मई-जून  1.पतंग – आलोक धन्वा 2.कविता के बहाने ,  बात सीधी थी पर – कुंवर नारायण  3.बाजार दर्शन – जैनेन्द्र कुमार जुलाई  1. कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय 2.काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती  3.जूझ – आनंद यादव  4 पत्र लेखन – (औपचारिक पत्र) 6.सम्पादकीय परिचय   अगस्त  1.सहर्ष स्वीकारा है – गजानन माधव मुक्तिबोध  2.पहलवान की ढोलक – फणीश्वर नाथ रेणु 3.अतीत में दबे पाँव – ओम थानवी सितम्बर  1.उषा –शमशेर बहादुर सिंह  2.बादल राग-निर!ला  3-चार्लीचैप्लिन यानी हम सब-विष्णु खरे 4-नमक-रजिया सज्जाद जहीर 5-डायरी के पन्ने-ऐन फ्रैंक 6. रिपोर्ट 7.  आलेख  8.रोजगार सम्बन्धी पत्र अक्टूबर  1.कवितावली,लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप – तुलसीदास Presentation LMRV कवितावली प्रश्न बैंक प्रेजेंटेशन 3.रुबाइयां गजल-फ़िराक गोरखप

चुप्पियां

  टूटनी चाहिए चुप्पियां वक़्त पर ताकि जल न जाय झूठ की आंच पर सत्य की रोटी मानाकि चुकानी पड़ती है एक बहुत कीमत चुप्पियों को बोलने की लेकिन तोड़ने से इस व्रत को मुक्त किया जा सकता है झूठ के वेण्टीलेटर से उन कंधों को जो न जाने कितने अरसे से ढो रहे हैं गुनाहों का भारी बोझ जिसका ठप्पा उनके माथे पर चुप्पियों ने ही लगा दिया था। इतिहास के दर्पण में अतीत का चेहरा हमारी विद्रूपताओं को दिखाता है हमें अनगिनत अक्षम्य घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचाता है अगर हम झांकें पूर्वकालीन घटनाओं की उन आंखों में तो हमें हमारा सही उत्तर मिल जायेगा कि टूटी होतीं चुप्पियां उस दिन तो न हुआ होता महाभारत का वह अनर्गल युद्ध और न खरोंची गई होती एक स्त्री की आत्मा सम्पूर्णानन्द मिश्र फूलपुर प्रयागराज 7458994874

श्यामू से श्यामलाल

  नहीं लगता मुझे तुम एक आदमी हो! क्योंकि सभ्यता की तुम्हारी कमीज़ राजधानी की खूंटियों पर अब भी टंगी हुई है तुम्हारे विवेक का चश्मा दिल्ली के चौक पर मुझे दिखा एक तस्वीर भी दिखाई पड़ी तुम्हारी राजपथ पर जिसमें पूरी तरह से नहीं पहचान में आ रहे हो कि तुम हमारे ही गांव के श्यामू हो कई रंग पुते हुए थे कपोलों पर तुम्हारे असली रंग कौन सा है तुम्हारा नहीं समझ में आया मुझे हां समझते- समझते जोर देते- देते दिमाग़ पर इतना मैंने   ज़रूर समझा कि मौसम के मुताबिक तुम स्वयं रंग जाते हो एक नवीन सभ्यता की नवीन चादर में तुम स्वयं लिपट जाते हो वैसे भी तुम्हारे रंग- रूप पर मुझे नहीं जाना है अपना माथा मुझे व्यर्थ नहीं खपाना है क्योंकि मुझे डर है शहर में नितांत अकेला हूं सैकड़ों बोझ है अभी कंधे पर जिम्मेदारियों का मुझे कुछ दिन और जीना है सामाजिक समरसता के लिए मुझे नफ़रत का विष भी पीना है नहीं! मुझे अब नहीं जानना है कि मेरे गांव का सीधा-सादा श्यामू शहर की इस चौंधियाती रोशनी में कब श्यामू से श्यामलाल हो गया     सम्पूर्णानन्द म

प्रश्न

  प्रश्न  ? पूछना चाहिए प्रश्न हरेक को क्योंकि बिना उत्तर के नहीं सुलझ सकता जीवन- जगत की समस्याएं शंका और अविश्वास जन्म लेता है लेकिन निरंतर प्रश्न करने से। प्रश्न जहां कई बार अज्ञानता के अंधेरे को चीरकर हमारे हृदय में उम्मीदों का दीप जलाता है वहीं निरर्थक प्रश्न हमें दिग्भ्रमित कर देता है विश्वास की बुनियाद पर ही तो आत्मीय संबंधों की भव्य इमारत खड़ी होती है इसलिए बचना चाहिए भ्रामक एवं अनर्गल प्रश्नों से उत्तर सबको चाहिए किसी भी आवश्यक प्रश्न का चाहे वह किसी भी वर्ग का हो लेकिन संदेह और भ्रामक प्रश्न हमारे जीवन में न केवल सेंध लगाता है बल्कि सामाजिक संबंधों की हत्या भी कर देता है जितना ज्यादा प्रश्न उतनी ही समस्याएं जीवन में इसलिए वक्त बहुत सारे प्रश्नों का स्थायी एवं सटीक उत्तर है प्रतीक्षा करनी चाहिए एक उचित वक्त की वक्त से बड़ा न कोई प्रश्न है और न उससे बड़ा कोई उत्तर   सम्पूर्णानंद मिश्र फूलपुर प्रयागराज 7458994874