परमात्मा से प्रेम का अर्थ है
इस समग्र अस्तित्व के साथ
मैं अपने को जोड़ता हूँ।
मैं इससे अलग-अलग नहीं जिऊँगा,
अपने को भिन्न नहीं मानूँगा।
मैं इसके साथ एक हूँ।
इसकी जो नियति है
वही मेरी नियति है।
मैं इस धारा के साथ बहूँगा,
तैरूँगा नहीं।
यह जहाँ ले जाए!
यह डुबा दे तो डूब जाऊँगा।
शुभ प्रभात...!
इस समग्र अस्तित्व के साथ
मैं अपने को जोड़ता हूँ।
मैं इससे अलग-अलग नहीं जिऊँगा,
अपने को भिन्न नहीं मानूँगा।
मैं इसके साथ एक हूँ।
इसकी जो नियति है
वही मेरी नियति है।
मैं इस धारा के साथ बहूँगा,
तैरूँगा नहीं।
यह जहाँ ले जाए!
यह डुबा दे तो डूब जाऊँगा।
शुभ प्रभात...!
अहोभाव गुरुजी।
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