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Showing posts from October, 2018

काश स्कूल न गया होता......

मैंने अपनी दादी को सुना था बचपन में वो बताती थी हर तरह के सपने का अर्थ और मैं सोचा करता था सपने क्या होते हैं? फिर समझ आया अरे रात को पूरा सिनेमा चलता है, फिर तो मज़ा आने लगा, और रोज सुबह, दादी से पूंछा करता क्या मतलब है दादी? हाथ फेरकर सर पर, वो कहती बेटा, इसका मतलब है तुम बहुत अच्छे इंसान बनोगे फिर मैं पूंछा करता दादी ये "अच्छा इंसान" क्या होता है और वो कहती जब बनोगे तो समझ जाओगे और अचानक एक दिन मेरे शिक्षक महोदय ने कहा "सपने वो नहीं होते जो बंद आँखों से देखे जाएँ सपने वो होते हैं जो खुली आँखों से देखे जाते हैं।" मैं था बहुत हैरान, थोड़ा सा परेशान, क्योंकि मेरे सपनों की धारणा बिखर रही थी मैंने खूब कौशिश की रात को आँख खोलकर सोने की मगर न तो सो पाता न सपनों का था कहीं पता फिर लगा दादी ही सच्ची हैं शिक्षक झूठ बोलता है पर ..... सिलसिला शुरू हो चुका था स्कूल जाने का और सुना बार-बार...बारंबार सपने खुली आँखों से देखे जाते हैं मैं भी सीख गया खुली आँखों से सपना  देखना अब याद आती है दादी की कहती थी अच्छा इंसान बनूगा, पर लगता

मैं हूँ या नहीं

घर के दरवाजे पर लगी है एक तख्ती जिस पर लिखा है मेरा नाम और लिखीं हैं उपाधियां उपाधियां जो कि हैं सिर्फ कागजी पर मन करता है लोग देखें और जानें कितना इकठ्ठा किया है मैंने पता है, हाँ पता है मुझे जो है, "बिलकुल कचरा" पर सजाया है उसको लोंगो के लिए क्योंकि लोग तालियां बजाते हैं वाहः कहते हैं एक अजीब सी गम्भीरता को ओढ़ लिया है मैंने "बच्चा नहीं हूँ मैं" जबकि जानता हूँ, हाँ जानता हूँ बच्चा ही सच्चा है पर... कभी कभी मन करता है इन सबने मुझे बनाया या मैं हूँ कुछ और, या कि "मैं" हूँ ही नहीं ....?....... .............x.......x.......x.....

संधि (sandhi)

संधि   संधि दो शब्दों से मिलकर बना है – सम् + धि। जिसका अर्थ होता है ‘मिलना ‘। जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते हैं। उदहारण :- हिमालय = हिम + आलय , सत् + आनंद =सदानंद। संधि के प्रकार संधि तीन प्रकार की होती हैं :- स्वर संधि व्यंजन संधि विसर्ग संधि स्वर संधि   जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। उदहारण :- विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं :- (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ड)अयादि संधि 1. दीर्घ स्वर संधि   जब ( अ , आ ) के साथ ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ , ई ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है। अथार्त जब दो सुजातीय स्वर आस – पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। उदहार