प्रेम करना और प्रेम चाहना ,
ये बड़ी अलग बातें हैं ।
हममें से अधिक लोग बच्चे ही रहकर मर जाते हैं ।
क्योंकि हरेक आदमी प्रेम चाहता है ।
प्रेम करना बड़ी अद्भुत बात है ।
प्रेम चाहना बिल्कुल बच्चों जैसी बात है ।
छोटे बच्चे प्रेम चाहते हैं ।
मां उनको प्रेम देती है ।
फिर वे बड़े होते हैं ।
वे और लोगों से भी प्रेम चाहते ,
परिवार उनको प्रेम देता है ।
फिर वे और बड़े होते हैं ।
अगर वे पति हुए ,
तो अपनी पत्नियों से प्रेम चाहते हैं ।
अगर वे पत्नियां हुई ,
तो वे अपने पतियों से प्रेम चाहती हैं ।
और जो भी प्रेम चाहता है ,
वह दुख झेलता है ।
क्योंकि प्रेम चाहा नहीं जा सकता ,
प्रेम केवल किया जाता है ।
शुभ प्रभात...!
ये बड़ी अलग बातें हैं ।
हममें से अधिक लोग बच्चे ही रहकर मर जाते हैं ।
क्योंकि हरेक आदमी प्रेम चाहता है ।
प्रेम करना बड़ी अद्भुत बात है ।
प्रेम चाहना बिल्कुल बच्चों जैसी बात है ।
छोटे बच्चे प्रेम चाहते हैं ।
मां उनको प्रेम देती है ।
फिर वे बड़े होते हैं ।
वे और लोगों से भी प्रेम चाहते ,
परिवार उनको प्रेम देता है ।
फिर वे और बड़े होते हैं ।
अगर वे पति हुए ,
तो अपनी पत्नियों से प्रेम चाहते हैं ।
अगर वे पत्नियां हुई ,
तो वे अपने पतियों से प्रेम चाहती हैं ।
और जो भी प्रेम चाहता है ,
वह दुख झेलता है ।
क्योंकि प्रेम चाहा नहीं जा सकता ,
प्रेम केवल किया जाता है ।
शुभ प्रभात...!
बहुत बडीऔर गहरी बात है।प्रेम हो जाता है,किया नही जाता,और होने पर उम्मीद जगाता है कि मुझे भी प्रेम मिले।दुख का मुख्य कारण यही है इच्छा,पूरी हुई तो परमानंद नहीं तो नैराश्य।
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