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himalayakibetiyanpathyojna

Annexure – 1
Lesson Plan –Teachers Diary
[A] Planning Format
Class/Section…VII B……… Subject…हिंदी…Chapter हिमालय की बेटियां . No. of periods……08… Date of Commencement…20-06-2017
Expected date of completion…30-06-2017……… Actual date of Completion…30-06-2017

Gist Of The  lesson
Targeted learning outcomes (TLO)
Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies
ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED
Focused skills/Competencies
हिमालय की बेटियाँ पाठ में लेखक को हिमालय की गोद में बहने वाली नदियाँ संभ्रांत महिला की तरह प्रतीत होती थीं लिकिन हिमालय पर चढ़कर देखने पर यह विशाल काय दृष्टी गोचर होती हैं | काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है | इन्हें बेटियों बहन, प्रेयसी आदि रूपों में भी प्रतिस्थापित किया है |
हिमालय की श्रेष्ठता से बच्चों को अवगत कराना |

प्रकृति के प्रति अनुराग उत्पन्न करना |

हिमालय की गोद से निकलने वाली नदियों की उपयोगिता से परिचित कराना |
हिमालय की महानता के विषय में विद्यार्थियों को अवगत कराना | हिमालय की संस्कृति, देवभूमि तपोभूमि  आदि  सभी दृष्टियों से सर्वोपरि है |

हिमालय पर लिखी कविताओं को कंठस्थ करने के लिए बच्चों को अभिप्रेरित करना |

काठिन्य निवारण एवं प्रश्नोत्तर |

देश का सजग प्रहरी हिमालय पर चर्चा करना |
सिन्धु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएं हैं ?

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?

हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन किन की प्रशंसा की है ?

पांच ऐसे शब्द लिखिए जिन्हें उलटा करने पर सार्थक शब्द बन जाएं |

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भक्तिन लेखिका- महादेवी वर्मा पाठ का सारांश - भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था,लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ की सेविका है | बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गयी| सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया| ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था| भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था| अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई | ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे| ऐसी परिस्थिति में भक्तिन ने अपने केश मुंडा लिए और संन्यासिन बन गई | भक्तिन स्वाभिमानी , संघर्षशील , कर्मठ और दृढ संकल्प वाली स्त्री है जो पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़त

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