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Kathputlipathyojna

Annexure – 1
Lesson Plan –Teachers Diary
[A] Planning Format
Class/Section…VII B……… Subject…हिंदी…Chapter कठपुतली,  .
No. of periods……2 1 … Date of Commencement.........
Expected date of completion…....……Actual date of Completion…........
Gist Of The  lesson
Targeted learning outcomes (TLO)
Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies
ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED
Focused skills/Competencies
कठपुतली
इस कविता में कठपुतलियाँ स्वतंत्रता की इच्छा से स्वयं अपनी बात व्यक्त कर रही हैं | उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनानेवाली चुनौतियाँ हैं | धागे में बँधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन हैं | इन्हें दूसरों के इशारे पर नाचने से दुःख होता है | दुःख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है | वह अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है | उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है | स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता | लेकिन, जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, वह सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है |  
स्वतंत्रता की अवधारणा का ज्ञान |

स्वतंत्रता का अर्थ स्वयं का तंत्र |

स्वतन्त्रता का अर्थ उच्छृंखलता नहीं अपितु सभी का ध्यान रखते हुए आत्मसम्मान का ध्यान रखना |
भारतीय स्वतंत्रता सग्राम पर परिचर्चा करना |

स्वतन्त्रता संग्राम सैनानियों की ओजस्वी कविताएं एवं कहानियों का संग्रह करना और कक्षा में सुनाना |

स्वतंत्रता की रक्षा पर परिचर्चा |
प्रश्न 1 कठपुतलियों  को किससे  बाँधा गया है?
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प्रश्न 2  कठपुतली क्रोधित  क्यों हो गई?
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प्रश्न 3  कठपुतली की इच्छा क्या है?
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प्रश्न 4 पहली  कठपुतली किस  सोच में पड़ गई थी?
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प्रश्न 5  पहली कठपुतली  में जोश क्यों था?


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भक्तिन लेखिका- महादेवी वर्मा पाठ का सारांश - भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था,लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ की सेविका है | बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गयी| सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया| ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था| भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था| अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई | ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे| ऐसी परिस्थिति में भक्तिन ने अपने केश मुंडा लिए और संन्यासिन बन गई | भक्तिन स्वाभिमानी , संघर्षशील , कर्मठ और दृढ संकल्प वाली स्त्री है जो पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़त

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