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mithaivalapathyojna

Lesson Plan –Teachers Diary
[A] Planning Format
Class/Section…VII B……… Subject…हिंदी…Chapter मिठाईवाला  . No. of periods……2 1 … Date of Commencement…........
Expected date of completion…......……… Actual date of Completion…......

Gist Of The  lesson
Targeted learning outcomes (TLO)
Teaching learning activities planned for achieving the TLO using suitable resources and classroom management  strategies
ASSESSMENT STRATEGIES PLANNED
Focused skills/Competencies
मिठाईवाला
इस कहानी में मिठाईवाला के माध्यम से बच्चों के प्रति प्रेम को व्यक्त किया गया है | मिठाईवाला फेरी लगाकर बच्चों के खिलौने, मिठाई आदि जो बच्चों को प्यारी होती हैं बेचता है | वह काम दाम पर कभी कभी बिना दाम के भी बच्चों को खिलोने दे देता है | मिठाईवाले के पुत्र की असमय मृत्यु होने के कारण वह सभी बच्चों में अपने बच्चों को ही देखता है |
इस कहानी के माध्यम से लेखक परिस्थिति को स्वीकार कर आनंद पूर्ण जीवन जीने की कला की और इशारा करता है | जीवन के प्रति आशावादी और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है |  
प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक रहकर अपना सर्वश्रष्ठ देने की भावना का विकास |

प्रेमपूर्ण रहने के आनंद की अनुभूति |

आशावादिता की प्रेरणा |
आपसी व्यवहार  पर परिचर्चा करना |

सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने हेतु प्रेरणास्पद कहानी सुनाना |

मिठाईवाले के चरित्र पर परिचर्चा |

विद्यार्थियों के स्वयं के अच्छे गुणों की सूची तैयार करना |
प्रश्न 1 मिठाईवाला अलग अलग चीजें क्यों बेचता था ?
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प्रश्न 2  मिठाईवाला कई दिनों के बाद क्यों आता था ?
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प्रश्न 3  मिठाईवाले में कौन कौन से गन थे ?
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प्रश्न 4  खिलौनेवाले के आने पर बच्चों में क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
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प्रश्न 5  किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था ?

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भक्तिन पाठ का सारांश - प्रश्न उत्तर सहित

भक्तिन लेखिका- महादेवी वर्मा पाठ का सारांश - भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था,लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ की सेविका है | बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गयी| सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया| ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था| भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था| अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई | ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे| ऐसी परिस्थिति में भक्तिन ने अपने केश मुंडा लिए और संन्यासिन बन गई | भक्तिन स्वाभिमानी , संघर्षशील , कर्मठ और दृढ संकल्प वाली स्त्री है जो पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़त

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