हवा  इस  कदर  बेवफा  हो  चली   लूटकर  अर्क  भी  वहां  से  न  टली    जब  दामन  हमारे  दागदार  हो  गए    तो  खुशबू  भी  मुझसे  यूं  रुठ  चली       ज़िंदगी  हमेशा  यूं  ही  डराती  रही   मुझे  मेरे  विश्वास  से  लड़ाती  रही    मेरे  पहरेदार  जब  कोरोना  हो  गए   तो  मौत  जीवन  का  फ़लसफ़ा  सिखाती  रही       आदत  हो  गई  अब  हमेशा  मुस्कुराने   की   रात  हो  या  दिन  कंधों  पर  लाशें  उठाने  की   अब  पूरा  शहर  मुझसे  वाकिफ  हो  गया    क्योंकि  बारी  है  जुम्मन  मियां  के  मैय्यत  में  जाने  की            डॉ  सम्पूर्णानंद  मिश्र   प्रयागराज  फूलपुर   7458994874   
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी