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सी बी एस ई कक्षा 11 हिंदी CBSE Class XI solution

 सी बी एस ई कक्षा 11 हिंदी CBSE Class XI solution 




माह
विस्तृत पाठ्यक्रम
अप्रैल-जून
1.नमक का दरोगा- प्रेमचंद  
4.कार्यालयी पत्र की पद्धति और नमूने
जुलाई
1.मियाँ नसीरूद्दीन-कृष्णा सोबती
5.समाचार लेखन
अगस्त
1.अपू के साथ ढाई साल- सत्यजित राय
4.रोजगार सम्बन्धी पत्र
6.निबंध- समसामयिक
सितम्बर
1.विदाई संभाषण- बालमुकंद गुप्त
2.गलत लोहा-शेखर जोशी
6.निबंध-सम्माजिक विषयों पर
अक्टूबर
4.साहित्यिक विषयों पर निबंध
नवम्बर
1.रजनी-मन्नू भंडारी
दिसंबर
1.जामुन का पेड़-कृश्नचंदर
जनवरी
(२०१६)
1.भारत माता-नेहरु
4.गैर पारम्परिक एवम् अप्रत्याशित विषयों पर अनुOछेदएवम् निबंध के नमूने
फरवरी
2016
1.आत्मा का ताप-सैय्यद हेदर रजा
5.सास्कृतिक/नैतिक/विज्ञान सम्बन्धी निबंध
6.भाषण,उद्घोषित,स्वागत भाषण,संगोष्ठी,संचालन आदि के लिए प्रभावी सम्प्रेष्ण हेतु शब्दावली
7.पुनरावृत्ति



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नया साल ! क्या सचमुच नया है ?

31 दिसम्बर की रात, पूरा माहौल रंगीन और जश्न में डूबा है। उत्तेजना बढ़ती जाती है और इकतीस दिसंबर की आधी रात हम सोचते हैं कि पुराना साल रात की सियाही में डुबोकर कल सब कुछ नया हो जाएगा। यह एक रस्म है जो हर साल निभाई जाती है, जबकि हकीकत यह है कि दिन तो रोज ही नया होता है, लेकिन रोज नए दिन को न देख पाने के कारण हम वर्ष में एक बार नए दिन को देखने की कोशिश करते हैं। दिन तो कभी पुराना नहीं लौटता, रोज ही नया होता है, लेकिन हमने अपनी पूरी जिंदगी को पुराना कर डाला है। उसमें नए की तलाश मन में बनी रहती है। तो वर्ष में एकाध दिन नया दिन मानकर अपनी इस तलाश को पूरा कर लेते हैं। यह सोचने जैसा है जिसका पूरा वर्ष पुराना होता हो उसका एक दिन नया कैसे हो सकता है? जिसकी पूरे साल पुराना देखने की आदत हो वह एक दिन को नया कैसे देख पाएगा? देखने वाला तो वही है, वह तो नहीं बदल गया। जिसके पास ताजा मन हो वह हर चीज को ताजी और नई कर लेता है, लेकिन हमारे पास ताजा मन नहीं है। इसलिए हम चीजों को नया करते हैं। मकान पर नया रंग-रोगन कर लेते हैं, पुरानी कार बदलकर नई कार ले लेते हैं, पुराने कपड़े की जगह नया कपड़ा लाते हैं। हम...

Teachers day शिक्षा व्यवस्था बनाम शिक्षा

कोई भी व्यक्ति ठीक अर्थों में शिक्षक तभी हो सकता है जब उसमें विद्रोह की एक अत्यंत ज्वलंत अग्नि हो। जिस शिक्षक के भीतर विद्रोह की अग्नि नहीं है वह केवल किसी न किसी निहित, स्वार्थ का, चाहे समाज, चाहे धर्म, चाहे राजनीति, उसका एजेंट होगा। शिक्षक के भीतर एक ज्वलंत अग्नि होनी चाहिए विद्रोह की, चिंतन की, सोचने की। लेकिन क्या हममें सोचने की अग्नि है और अगर नहीं है तो आ एक दुकानदार हैं। शिक्षक होना बड़ी और बात है। शिक्षक होने का मतलब क्या है? क्या हम सोचते हैं- सारी दुनिया में सिखाया जाता है बच्चों को, बच्चों को सिखाया जाता है, प्रेम करो! लेकिन कभी  विचार किया है कि पूरी शिक्षा की व्यवस्था प्रेम पर नहीं, प्रतियोगिता पर आधारित है। किताब में सिखाते हैं प्रेम करो और पूरी व्यवस्था, पूरा इंतजाम प्रतियोगिता का है। जहां प्रतियोगिता है वहां प्रेम कैसे हो सकता है। जहां काम्पिटीशन है, प्रतिस्पर्धा है, वहां प्रेम कैसे हो सकता है। प्रतिस्पर्धा तो ईर्ष्या का रूप है, जलन का रूप है। पूरी व्यवस्था तो जलन सिखाती है। एक बच्चा प्रथम आ जाता है तो दूसरे बच्चों से कहते हैं कि देखो तुम पीछे रह गए और यह पहले आ ...

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