विश्वास है मुझे सब ठीक हो जायेगा नहीं रहता एक जैसा समय दूर हो जायेगा यह संक्रमण भी खेल चलता रहता है पतझड़ और बसंत दोनों का नहीं बुझता है आंवा विधाता का घबराने की जरूरत नहीं इससे ज़रूरत है तो बस संयम बरतने की पहले से ही कत्ल होते आया है सामाजिक दूरियों का नई बात नहीं है यह कोई केवल इल्ज़ाम की चादर ओढ़ ली है कोरोना ने अपने ऊपर बगीचे में ज़िंदगी के यदि फूल खिलते हैं तो मुरझाते भी हैं जीवन और मृत्यु दोनों साथ-साथ चलते हैं साथ-साथ दौड़ते हैं कोई इस दौड़ में दूर तक दौड़ता है कोई थक कर चूर हो जाता है जहां थकावट हैं वहीं मृत्यु है जहां रुकावट नहीं है, वहां जीवन है मृत्यु के गर्भ में जीवन पलता है दुःखी वही होता है किसी...
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी