1. 'कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ..... कालकूट फणि की चिंतामणि'   (क) 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?    कवि 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश का भाव नव-निर्माण और जनता को जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुए हैं।   (ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' - पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है?   वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' में आपसी संबंध बनता है क्योंकि कवि इन पंक्तियों में आवेशपूर्वक जनता को जागृत करना चाहते है परंतु उसके कंठ से वह गीत बाहर नहीं आ सकता जिससे वह और भी अधिक अधीर हो जाता है।   2. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए -  'सावधान ! मेरी वीणा में ...... दोनों ऐंठी हैं।'     इस पंक्ति में कवि लोगों को परिवर्तन के प्रति सावधान करता है और वीणा से कोमल स्वर निकालने की बजाय कठोर स्वर निकलने के...
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी