मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देतीवह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थीवह मुख्य गायक का छोटा भाई हैया उसका शिष्यया पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदारमुख्य गायक की गरज़ मेंवह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल सेगायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल मेंखो चुका होता हैया अपने ही सरगम को लाँघकरचला जाता है भटकता हुआ एक अनहद मेंतब संगतकार ही स्थाई को सँभाले रहता हैजैसा समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामानजैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपनजब वह नौसिखिया थातारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गलाप्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआआवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआतभी मुख्य गायक को ढाढस बँधाताकहीं से चला आता है संगतकार का स्वरकभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथयह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं हैऔर यह कि फिर से गाया जा सकता हैगाया जा चुका रागऔर उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती हैया अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश हैउसे विफलता नहींउसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
मंगलेश डबराल, रचना समय 1955
वीडियो प्रस्तुति श्रीमती कमलेश कुमारी
वीडियो प्रस्तुति श्री अतुल द्विवेदी
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