होली जैसा उत्सव पृथ्वी पर खोजने से ना मिलेगा रंग गुलाल है आनंद उत्सव है तल्लीनता का मदहोशी का मस्ती का नृत्य का नाच का बड़ा सतरंगी उत्सव है |
हँसी के फव्वारों का उल्लास का एक महोत्सव है | दिवाली भी उदास है होली के सामने होली की बात ही और है ऐसा नृत्य करता उत्सव पृथ्वी पर कहीं भी नहीं है
धर्म उदासी नहीं है नृत्य उत्सव है और होली इसका प्रतीक है इस दिन “ना” पर “हाँ” की विजय हुयी |
इस दिन विध्वंस पर सृजन जीता इस दिन अतीत पर वर्तमान विजयी हुआ इस दिन शक्तिशाली दिखाई पड़नें वाले पर निर्बल सा दिखाई पड़ने वाला बालक जीत गया नये की नवीन की ताजगी की विजय अतीत पर बासे पर उधार पर और उत्सव रंग का है उत्सव मस्ती का है उत्सव गीतों का है|
धर्म उत्सव है उदासी नहीं
जरा गौर से देखो कितनें फूलों में कितना रंग कितने इंद्रधनुषों में उसका फैलाव है कितनी हरियाली है कैसा चारो तरफ उसका गीत चल रहा है पहाडों में पत्थरों मे पक्षियो में पृथ्वी पर आकाश में सब तरफ उसका महोत्सव है|
🌹ओशो🌹
मंगलमय हो
ReplyDelete