नववर्ष की पूर्व संध्या
पर समूचा देश
संकल्पबद्ध होता है
अपने अपने विकारों से
मुक्त होने के लिए
नई-नई
योजनाएं बनाता है
द्वेष की दीवारें गिराने
के लिए प्रेम पुष्प बरसाने
की सौगंध खाता है
एक आदर्श राष्ट्र
बनाना चाहता है
मानवता की रेल सबके
हृदय की पटरी पर
चलाना चाहता है
लेकिन कौन सी स्थिति है
वह कौन सी परिस्थिति है
कि कुछ दिन बाद ही
हम लोगों के
संकल्पों का बल्ब फ्यूज
हो जाता है
क्या पाशविक प्रवृत्तियों
की जड़ें लोगों के मन
में दूर तक जमी हुई हैं
या हम लोगों से ही
कोई कमी हुई है
कहीं न कहीं से सभी ने
अपने -अपने दिलों की जमीन पर
भेदभाव की इमारतें
खड़ी कर दी हैं
और नफ़रत की
ए० सी०सी०सीमेंट
से उसको प्लास्टर
भी करवा दी है
शायद इसीलिए कुछ दिनों में
संकल्प क्षीण हो जाते हैं
और नववर्ष की पूर्व संध्या पर
ली गई प्रतिज्ञा
विचारहीन हो जाती हैं।
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी केन्द्रीय विद्यालय इफको फूलपुर इलाहाबाद ( प्रयागराज)
पर समूचा देश
संकल्पबद्ध होता है
अपने अपने विकारों से
मुक्त होने के लिए
नई-नई
योजनाएं बनाता है
द्वेष की दीवारें गिराने
के लिए प्रेम पुष्प बरसाने
की सौगंध खाता है
एक आदर्श राष्ट्र
बनाना चाहता है
मानवता की रेल सबके
हृदय की पटरी पर
चलाना चाहता है
लेकिन कौन सी स्थिति है
वह कौन सी परिस्थिति है
कि कुछ दिन बाद ही
हम लोगों के
संकल्पों का बल्ब फ्यूज
हो जाता है
क्या पाशविक प्रवृत्तियों
की जड़ें लोगों के मन
में दूर तक जमी हुई हैं
या हम लोगों से ही
कोई कमी हुई है
कहीं न कहीं से सभी ने
अपने -अपने दिलों की जमीन पर
भेदभाव की इमारतें
खड़ी कर दी हैं
और नफ़रत की
ए० सी०सी०सीमेंट
से उसको प्लास्टर
भी करवा दी है
शायद इसीलिए कुछ दिनों में
संकल्प क्षीण हो जाते हैं
और नववर्ष की पूर्व संध्या पर
ली गई प्रतिज्ञा
विचारहीन हो जाती हैं।
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी केन्द्रीय विद्यालय इफको फूलपुर इलाहाबाद ( प्रयागराज)
Ati sunder 👌👌👌🙏🙏🙏
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete🙏✍️👌👌
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