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घर की याद

पाठ योजना
कक्षा  ग्यारहवीं
विषय- हिंदी
पाठ-घर की याद (भवानी प्रसाद मिश्र)
समयावधि – अक्टूबर
पाठ का संक्षिप्त परिचय
भवानी प्रसाद मिश्र की कविता हिंदी की सहज ले की कविता है| इस सहजता का सम्बन्ध गांधी के चरखे की ले से जुड़ता है इसीलिए उन्हें कविता का गांधी भी कहा जाता है| मिश्र जी की कविताओं में बोल-चाल के गद्यात्मक-से लगते वाक्य-विन्यास को ही कविता में बदल देने की अद्भुत क्षमता है| इसी कारण उनकी कविता सहज और लोक के अधिक करीब है| भवानी प्रसाद मिश्र जिस किसी विषय को उठाते हैं उसे घरेलू बना देते हैं – आँगन का पौधा, शाम और दूर दिखती पहाड़ की नीली चोटी भी जैसे परिवार का एक अंग हो जाती है | वृद्धावस्था और मृत्यु के प्रति भी एक आत्मीय स्वर मिलता है| उन्होंने प्रोढ़ प्रेम की कविताएँ भी लिखीं हैं जिनमें उद्दाम श्रंगारिकता की बजाय सहजीवन के सुख-दुःख और प्रेम की व्यंजना है| नई कविता के दौर के कवियों में मिश्र जी के यहाँ व्यंग्य और क्षोभ भरपूर है किन्तु वह प्रतिक्रियापरक न होकर सृजनात्मक है | गांधीवाद पर आस्था रखने के कारण उन्होंने अहिंसा और सहनशीलता को रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है|
घर की याद कविता में घर के मर्म का उदघाटन है| कवि को जेल-प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सालती है| कवि के स्मृति-संसार में उसके परिजन एक-एक कर शामिल होते चले जाते हैं| घर की अवधारणा की सार्थक और मार्मिक याद कविता की केन्द्रीय संवेदना है|
क्रियाकलाप
पाठ को उचित लय, यति और गतिपूर्वक वाचन ,प्रश्नोत्तरी|
गृहकार्य
पाठ्य पुस्तक से अभ्यास प्रश्नों के उत्तर लिखना |


शिक्षक का नाम – 
पद – पी.जी.टी. हिंदी
                                                                    प्राचार्य 

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