कक्षा – सातवीं
विषय- हिंदी
पाठ- रहीम के दोहे
समयावधि – अक्टूबर2016
पाठ का संक्षिप्त परिचय –
भक्तिकाल हिन्दी साहित्य में रहीम का
महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने अरबी, फ़ारसी, संस्कृत, हिन्दी
आदि का गहन अध्ययन किया। वे राजदरबार में अनेक पदों पर कार्य करते हुए भी साहित्य
सेवा में लगे रहे। रहीम का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। वे स्मरण शक्ति, हाज़िर–जवाबी, काव्य और संगीत
के मर्मज्ञ थे। वे युद्धवीर के साथ–साथ
दानवीर भी थे। अकबर के दरबारी कवि गंग के दो छन्दों पर रीझकर इन्होंने 36 लाख
रुपये दे दिए थे। रहीम ने अपनी कविताओं में अपने लिए 'रहीम' के
बजाए 'रहिमन' का
प्रयोग किया है। वे इतिहास और काव्य जगत में अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना के नाम से प्रसिद्ध हैं। रहीम मुसलमान होते हुए भी कृष्ण भक्त थे। उनके काव्य में नीति, भक्ति–प्रेम तथा शृंगार आदि के दोहों का
समावेश है। साथ ही जीवन में आए विभिन्न मोड़ भी परिलक्षित होते हैं।
कक्षा 7 में रहीम
के पांच दोहों का संकलन किया गया है | पहले दोहे में सच्चे मित्र की पहचान बताई है
| परोपकार में लगने वाली संपत्ति को ही सच्ची संपत्ति बताया है |
क्रियाकलाप
पाठ को उचित लय,
यति और गतिपूर्वक वाचन ,प्रश्नोत्तरी|
गृहकार्य–
पाठ्य पुस्तक से
अभ्यास प्रश्नों के उत्तर लिखना |
शिक्षक का नाम –
धर्मेन्द्र भारद्वाज
पद – पी.जी.टी.
हिंदी
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