पाठ योजना कक्षा – सातवीं विषय - हिंदी पाठ- कंचा समयावधि – अक्टूबर 2016 पाठ का संक्षिप्त परिचय – कंचा कहानी मलयालम भाषा की कहानी हिंदी में अनुवादित कर पाठ्यक्रम में शामिल की गई है | टी पद्मनाभन द्वारा रचित कहानी बाल मन को बड़ी ही सरलता से उकेरती है| बच्चों का मनोविज्ञान कंचा के माध्यम से प्रस्तुत है जब बच्चा किसी अनोखी चीज को देखता है तो उसके सौन्दर्य में खो जाता है| इस कहानी में कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। कंचों का जार का आकार आसमान के समान बहुत ऊँचा हो गया है और वह उसके भीतर अकेला है। वह चारों ओर बिखरे हुए कंचों से मजे से खेल रहा था। मास्टर जी कक्षा में पाठ "रेलगाड़ी" का पढ़ा रहे थे। उसे मास्टरजी द्वारा बनाया गया बॉयलर भी कंचे का जार ही नज़र आता है। इस चक्कर में मास्टर जी से डाँट भी खाई लेकिन उसके दिमाग में केवल कंचों का खेल चल रहा था। दूकानदार ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा चंचल बालक है। पहले तो दुकानदार उससे परेशान होता है क्योंकि वह कंचों को केवल देख र...
Principal Exam, मिलकर करते हैं तैयारी