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विजया दशमी की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं!


अब मत मारो!

मुझे राम

   मैं अपराधी था

माना कि सीता का

मिलनी चाहिए सजा अपराध की

लेकिन राम कितनी बार!

 हर बार मैं मर रहा हूं

 घुट- घुटकर  जी रहा हूं

      हर साल

   जलाया जाऊंगा

क्या मैं इसी तरह ?

लोग कब तक तमाशा देखेंगे

  अब मुझे बख्श़ दो!

अरे!

उस देवी को तो

स्पर्श तक नहीं किया

  मैंने

एक तरफ़ मैं उसे डराता था

    तो दूसरी तरफ़

अपने भ्रातृजा द्वारा समझाता था

अब‌ मुझे मुक्त कर दो राम!

बुराई रूपी लोहे को

अच्छाई के पारस  ने

  पीट- पीट कर कुंदन

     बना दिया

मेरे भाल पर

रामत्व का अमिट चंदन लगा दिया है

लेकिन

 राम वही शक्ति

  तुम आज दिखला दो

  इस कलियुग में भी

 अपना प्रभाव बतला दो

बहू- बेटियों की मर्यादा

क्या ऐसे ही नीलाम होगी

 कितनी निर्भयाओं की हत्या 

  सरेआम होगी

  तुम कहां हो राम!

  इन पर भी चला दो

एक अभिमंत्रित बाण

  मुझे मुक्त कर दो राम

  मुझे अब मत मारो

एक अपराध की सजा

 हर बार मत दो

सम्पूर्णानंद मिश्र

 शिवपुर वाराणसी



विजयादशमी की आपको हार्दिक शुभकामनायें

   

 

     पेज सज्जा:- kvshindi.com

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