मन का साहस
संक्रामक होता है
समझनी होगी
बड़ी शिद्दत से इस बात को
साहसी व्यक्ति का संघर्ष
कर देता है
सोयी हुई धमनियों में भी
रक्त का संचार
और पका देता है
दुर्बल मन को साहस के आंवें में
बढ़ जाती है जिससे
व्यक्ति की निडरता
और इसी बूते
जद्दोजहद करने लगता है
अपने कर्म- पथ पर
लड़ने लगता है
डटकर अपने
आंतरिक रिपुदलों से
जिन्होंने दीर्घकाल से
बना लिया है स्थायी बसेरा
रिक्त एवं निर्बल मन में
इसलिए साहस मन का
संक्रामक होता है
बचना होगा हमें
निरर्थक आक्रामकता से
क्योंकि जहां मन का साहस
पहुंचा देता है
सफलता की चोटी पर हमें
वहीं मन का दौर्बल्य
भटका देता है एक बड़े लक्ष्य से
सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874

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