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Showing posts from December, 2020

क्या सब कुछ बदल जायेगा

  अपने गर्भ में  तारीख महीनों को पाल रहा  कैलेंडर जनेगा  एक और नया साल जिसकी रेखा की बुनियाद पर   भविष्यवक्ताओं का  भविष्य टिका है  तो क्या यह मान लिया जाय  यह बदलाव का वर्ष होगा सब कुछ बदल जायेगा  दिलों पर लगा  ज़ख्म सूख जायेगा जो उग आया है  नागफनी की तरह  जिसने सीखा है पनपना   विश्वास है विस्तार में जिसका नहीं उसने सीखा  संसर्ग में रहकर भी  चिरकाल तक  दौड़ता रहा अंधी दौड़  हर बार हारता रहा  बावजूद उसे कुचलता रहा  उसे परम विश्वास था  इस बात का छद्म एहसास था कि नहीं हो सकता  वह मेरा प्रतिस्पर्धी       क्योंकि  इस कंगूरे की चमक  के लिए कितनी मांगों  का सिंदूर मैंने पिया है  और कितनी सिसकियों   की सीढ़ियों पर चढ़कर  अवस्थित हूं आज मैं  वह निरीह लाचार  कमठ क्या जाने  यह सब कुछ एक अंतहीन प्रश्न  नववर्ष के जश्न में  आकंठ और आकर्ण डूबे  लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या सब कुछ बदल जायेगा  दो ...

नए साल के नए दौर पर - कवियित्री अंजु परिहार

नए साल के नए दौर पर  कुछ अच्छी आदत सीखना तुम औरों को खुश रखना और हँसते हुए रहना तुम  नए साल के नए दौर पर नई पहचान बनाना तुम  पहचान येसी जो भा जाए मन को  ये सवेरा लाना तुम  नए साल के नए दौर पर  संग रौशनी लाना तुम  नए साल की नई कहानी  खुद अपनी बनाना तुम  ..... . अंजु परिहार