जिन्हें इंकार है
उसके अस्तित्व से ही
और जो माने बैठे हैं
मूरत में सूरत में
मंदिर मस्जिद गिरजे में
काशी क़ाबा पोथी में
सब ख़तरनाक हैं
क्योंकि वे हिस्सा हैं
एक ख़तरनाक खेल का
वे लेते हैं ठेका
या दिखाते हैं ठेंगा
मिट्टी को पकड़ो
या आसमान को
आस्तिक कहाओ
नास्तिक कहाओ
दोनों एक जैसे हो
क्योंकि दोनों देखते हैं
सिर्फ बाहर
एक को पाने का भ्रम
दूसरे को न पाने की खुशी
दोनों गफ़लत में
दोनों ख़तरनाक
दोनों भीतर से अनजान
दोनों शक्तिहीन
दोनों खाली
इसीलिए दोनों आक्रामक
दोनों हिंसक
एक तीसरा भी तो है
जो महसूसता है
एक अनंत शक्ति
अपार आस्था
अटूट संबंध
भीतर ही भीतर
और निरंतर होता रहता है
समृद्ध सार्थक सशक्त
और बनाता रहता है
अपनी दुनिया को
सबके रहने लायक
- संपूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज, फूलपुर
7458994874
बहुत सुंदर
ReplyDeleteBhut sunder rchna sir
ReplyDeleteSir all living being and non living things are the part of that ultimate energy
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर।।।
ReplyDeleteVery nice .....
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