Skip to main content

बस इंतज़ार करना होगा


 ताकत होती है
 विध्वंस से अधिक निर्माण में
   निर्माण पलता है 
 विध्वंस के गर्भ में ही
   खेल चलता रहता है 
  सृष्टि में दोनों का अनवरत
 नहीं महसूस करनी चाहिए   
असहजता ऐसे समय में 
       हांलांकि 
दुःख देता है 
विध्वंस अक्सर 
   कभी- कभी 
 लकवा मार देता है 
 मनुष्य के साहस को भी 
लेकिन काम लेना चाहिए धैर्य से
 नियंत्रित करना चाहिए 
   मन के घोड़े को
 विवेक के रज्जू से
  पांच सौ वर्षों के 
वनवास की पूरी हो गई अवधि
हर लोगों ने माना अस्तित्व को 
 मर्यादा पुरुषोत्तम राम के 
     स्थापित होंगे 
अपने नियत स्थान पर
पराभव हुआ छलियों का 
 निष्प्रभावी हो जाती हैं
  मायावी शक्तियां 
कुछ चमत्कारी प्रदर्शन के बाद
   सेंकते रहते हैं निरंतर
     सियासी रोटियां
  विध्वंस के तवे पर 
    कुछ वंशवादी
नहीं बची खाने लायक किसी के गिर गए औधें मुंह 
 आई० सी० यू० में हैं आज
 ज़मीन अपनी ढूंढ़नी होगी उन्हें
  कि कहां खड़े हैं हम 
 चिंतन- मनन करना होगा कि
 घर- घर में हैं सबके राम 
घर- घर के हैं राम सबके
 बस इंतजार था वक्त का 
   लोहा मान गए 
सिकंदर और सुकरात दोनों 
नहीं होता वक्त, किसी का हमेशा
   जीवन में उतना ही
  फैलाओ साम्राज्य अपना 
    जितना महसूसते हो 
     सीखना चाहिए 
  जीव जंतुओं से भी
कछुआ उतना ही अंग अपना      बाहर निकालता है 
जितनी ज़रूरत होती है उसे
ताकत अधिक होती है
 विध्वंस से अधिक निर्माण में
बस इंतजार करना होगा वक्त का 

डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
स्नातकोत्तर शिक्षक, हिंदी
केन्द्रीय विद्यालय इफको
 फूलपुर प्रयागराज
7458994874

Comments

Popular posts from this blog

भक्तिन पाठ का सारांश - प्रश्न उत्तर सहित

भक्तिन लेखिका- महादेवी वर्मा पाठ का सारांश - भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था,लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ की सेविका है | बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गयी| सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया| ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया, जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा सहनी पड़ती थी| सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता था| भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था| अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई | ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे| ऐसी परिस्थिति में भक्तिन ने अपने केश मुंडा लिए और संन्यासिन बन गई | भक्तिन स्वाभिमानी , संघर्षशील , कर्मठ और दृढ संकल्प वाली स्त्री है जो पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से भरे समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़त

MCQ test on vakya bhed रचना के आधार पर वाक्य भेद

कक्षा 10 के अन्य सभी पाठों के PDF/Audio/Vidio/Quiz Loading...   कक्षा 10 के अन्य सभी पाठों के PDF/Audio/Vidio/Quiz

MCQ TEST NCERT-CBSE-arth ke adhar par vakya bhed रचना के आधार पर वाक्य भेद

Loading...