इस मुसीबत में
एक शख़्स जीत गया
लोगों के टूटे भरोसे को
जोड़ने में जुट गया
वर्षों से गालियों की कड़वी दवाइयां निरंतर खा रहा था
खाकी का परिधान पहनकर
वेवजह यहां- वहां
सामाजिक निंदों के
जूते खा रहा था
इतने के बावजूद अपनी ईमानदारी के गीत गा रहा था
फिर भी जनता की
उम्मीदों पर जिंदा था
एकाध अपने लोगों के किए
कृत्यों पर शर्मिंदा था
उसे आस था
इस बात का विश्वास था
एक दिन दामन के
दाग को छुड़ाएंगे
भारत मां के
सच्चे सपूत कहलायेंगे
आज इस महामारी की दावाग्नि में
अपने को झोंक दिया
लोगों पर आयी विपदाओं को
स्वयं परिवार से विरत होकर
सबके दुखों को लोक लिया।।
रचनाकार - डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
7458994874
mishrasampurna906@gmail.com
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इस लाकडाउन ने हमें अपने हीरोज को पहचानने में मदद की है।
ReplyDeleteSalute to corona Warriors..
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