अपनी जिन्दगी की कीमत पहचानिए, क्योंकि लोग मरते हैं मरते रहेंगे।
जिन्होंने बनाई है पहचान अपनी, वो मरकर भी जिन्दा रहेंगे।
वो मरकर भी जिन्दा रहेंगे।
कर परिश्रम हो आसान राह अब डोर तेरे हाथ में ,
खींच देगा इसको जितना जिन्दगी की राह में,
हर व्यथा से हो गुजरना घबराना न एक पल,
ये व्यथा ही मोड़ देगी जिन्दगी की राह में।
खींच ...................................................... ।
बात करूँ उस फूल की जो काँटों में भी मुस्कुराता है,
और अपनी खुशबू से सारी बगियाँ महकाता है।
मन ऐसा ही पावन कर ले जिन्दगी की राह में,
खींच ........................................................... ।
भटकी राह यदि जीवन की जीवन का आराम गया,
आराम गया और चैन गया अब काँटे उपजे राह में ।
खींच ............................................................ ।
नेहा शर्मा
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