पूरा देश
जप में है
तप में है
व्रत में है
कर्मरत है
घरों में सब हैं
क्वैरेंटाडन में है
यह समय
नहीं है बैलेंटाइन का
इस समय घर में
रहना चुनौती है
यह अपने को
साधने का समय है
इंद्रियों को बांधने का समय है
वैसे इस लाकडाउन में
पत्नी के साथ समय बिताना
यमराज के मुंह से बाहर आना है
आज विपुल प्रण करना है
दीपक में तेल भरना है
अंधकार को मिटाना है
कोरोना को मार भगाना है
एक नया सूरज उगेगा
कमल फिर से खिलेगा
अंधकार का शलभ
आज मर जायेगा
जब चौखट पर असंख्य
दीया जल जायेगा
आओ हम सब मिलकर
दीया जलाएं
खुशियों के गीत गाएं !
डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
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