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अब मुझे मत मारो!


रावण ने राम से कहा 
मुझे अब मत मारो!
माना कि त्रेता में
सीता- हरण करने का
मैं अपराधी था
अपराध की सजा मिलनी चाहिए 
लेकिन राम कितनी बार! 
हर बार मैं मर रहा हूं 
घुट- घुटकर  जी रहा हूं 
क्या मैं निरंतर इसी तरह
से जलाया जाऊंगा?
सूली पर लटकाया जाऊंगा 
लोग कब तक तमाशा देखेंगे 
अब मुझे बख्श़ दो! 
अरे! उस देवी को तो  
मैंने छुआ तक नहीं 
एक तरफ़ मैं उसे डराता था 
तो दूसरी तरफ़ 
त्रिजटा द्वारा समझाता था 
अब‌ मुझे मुक्त कर दो राम!
असत्य को सत्य के हथौड़े ने 
पीट- पीट कर कुंदन 
बना दिया 
तुम्हारे सान्निध्य ने मेरे भाल पर 
रामत्व का चंदन लगा दिया 
सभ्यता एवं संस्कृति का 
नया पाठ पढ़ा दिया 
लेकिन राम वही शक्ति 
तुम आज दिखा दो 
इस कलियुग में भी 
अपना प्रभाव दिखा दो
बहू- बेटियों की मर्यादा 
क्या ऐसे ही नीलाम होगी 
प्रियंका रेड्डी की हत्या 
सरेआम होगी !
तुम कहां हो राम!
एक अभिमंत्रित बाण 
इन पर भी चला दो 
मुझे मुक्त कर दो राम 
मुझे अब मत मारो!

7458994874
mishrasampurna906@gmail.com

Comments

  1. एक बेहतरीन सीरीज़। नव्यतम विचारों की।

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  2. अत्यंत समसामयिक विषयों पर अविस्मरणीय ।

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  3. सामयिक कविता

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  4. व्यवहारिक एवं प्रेरक कविता

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