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कोरोना से डरो!

कोरोना से थोड़ा डरो
जान बूझकर मत मरो
यह एक संक्रामक बीमारी है
या प्रकृति की अपनी कोई
‌प्रच्छन्न लाचारी है
या यूं कहें कि सदी
की सबसे बड़ी महामारी है
चीन, अमेरिका,‌इटली से
भी अब कुछ सीख जाओ
डूबती हुई कश्ती को बचा जाओ
विहगों को भी शजर
का ही सहारा है
सर्वहारा वर्ग को इस महामारी ने
सबसे ज्यादा मारा है
भारत को बुहान मत बनाओ ‌
अपनी- अपनी
केवल जान बचाओ‌
तुम बिल्कुल यह मत सोचो
कि कनिका कपूर क्या कर रही हैं
वो इतनी स्वच्छंद क्यों घूम रही हैं
‌अपने संसर्ग में आने वाले हर आदमी को‌ क्यों चूम रही हैं
आपके मन में यह
बात नहीं आनी चाहिए
हालात समझ जानी चाहिए
साहब! इन अदाकारों‌ का कोरोना‌
भी कुछ नहीं कर पाएगा
ये अपनी अदाकारी या शबीह से
इतने बड़े बिषाणु को
भी वश‌‌ में कर लेंगी
ये लोग शिक्षित है
इस कला में मुक्कमिल
प्रशिक्षित हैं
बड़े- बड़े जीवाणुओं एवं बिषाणुओं को इन्होंने
अपने नयन- सिलीमुख से मारा है
रति कल्लोलिनी  रूप धारण कर
अनंग‌‌- करोना‌ को तारा है।।

डॉ०  सम्पूर्णानंद मिश्र जी की अन्य कविताएं पढ़ें

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