राजू ने पुलिस से पूछा
साहब बस कब चलेगी
यह मुसीबत कब टलेगी
मुझे किसी तरह अपने
गांव जाना है
वहां अपने छोटे से खेत में
काम करके शेष
जीवन बिताना है
तीन दिन से जिंदा हूं
कुत्ते का कौर खाकर
इधर बच्चा बीमार है
दूध दूध दूध चिल्ला रहा है
भूख से बिलबिला रहा है
शहर में कमाकर
खाने आया था
हाड़ तोड़ मेहनत करके
बच्चे को जिलाने आया था
अब एक पैसा भी नहीं बचा है
अगर यह मर गया तो
मेरी लाठी टूट जायेगी
इसकी मां पिछले महीने ही
चल बसी है
पुलिस के एक आदमी ने कहा
भाई धैर्य और संयम रखो
सब ठीक हो जाएगा
यह बहुत बड़ी बीमारी है
सदी की सबसे बड़ी महामारी है
धरती पर जो पाप हुआ है
उसी से ऐसा हो रहा है
सारा विश्व इसीलिए रो रहा है
मां क्रुद्ध है
किसी की नहीं सुन रही है
लोगों ने उन्हें बहुत तड़पाया है
अनगिनत सालों से उन्हें रुलाया है
लेकिन घबड़ाओ नहीं
सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी
मां भी कुछ समय बाद
अपना क्रोध पी जाएंगी।
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र जी की अन्य कवितायें
साहब बस कब चलेगी
यह मुसीबत कब टलेगी
मुझे किसी तरह अपने
गांव जाना है
वहां अपने छोटे से खेत में
काम करके शेष
जीवन बिताना है
तीन दिन से जिंदा हूं
कुत्ते का कौर खाकर
इधर बच्चा बीमार है
दूध दूध दूध चिल्ला रहा है
भूख से बिलबिला रहा है
शहर में कमाकर
खाने आया था
हाड़ तोड़ मेहनत करके
बच्चे को जिलाने आया था
अब एक पैसा भी नहीं बचा है
अगर यह मर गया तो
मेरी लाठी टूट जायेगी
इसकी मां पिछले महीने ही
चल बसी है
पुलिस के एक आदमी ने कहा
भाई धैर्य और संयम रखो
सब ठीक हो जाएगा
यह बहुत बड़ी बीमारी है
सदी की सबसे बड़ी महामारी है
धरती पर जो पाप हुआ है
उसी से ऐसा हो रहा है
सारा विश्व इसीलिए रो रहा है
मां क्रुद्ध है
किसी की नहीं सुन रही है
लोगों ने उन्हें बहुत तड़पाया है
अनगिनत सालों से उन्हें रुलाया है
लेकिन घबड़ाओ नहीं
सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी
मां भी कुछ समय बाद
अपना क्रोध पी जाएंगी।
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र जी की अन्य कवितायें
सामयिक
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