दिल्ली में न हिंदू मरा
न मुसलमान
सिर्फ़ इंसान मरा
आओ!अब अपने नापाक
हाथों की कुछ
धूल झाड़ आएं
चलो घटनास्थल
का दौरा कर आएं !
जो शेष बचा है
उसे अशेष बनाएं
पेट काटकर
स्वप्न सजाए
बड़ी मुश्किल से
जो घर बनाए
आओ
उन जले घरों में
अब कुछ
दीया जलाएं !
उनके दिल के
ज़ख़्मों पर कुछ
मरहम पट्टी कर आएं
बड़ी मुश्किल से जो
घर बनाए
उन सकूनत में जो
सकून से रह न पाए
आओ
उनमें
कुछ दिया जलाएं
पूरी धरती सूर्य हुई है
खूब खून की बारिश हुई है
आओ
उसमें कुछ उम्मीदों की
बीज बो आएं
कुछ
नयन-नीर
नि:सृत कर आएं
और
बहते अश्रु को
वादों की रुमाल
से पोंछ आएं
अगले साल फ़सल काटनी है
आओ!अब वहां
मातम मनाएं
रचनाकार-डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र जी की अन्य कविताएं पढ़ें
न मुसलमान
सिर्फ़ इंसान मरा
आओ!अब अपने नापाक
हाथों की कुछ
धूल झाड़ आएं
चलो घटनास्थल
का दौरा कर आएं !
जो शेष बचा है
उसे अशेष बनाएं
पेट काटकर
स्वप्न सजाए
बड़ी मुश्किल से
जो घर बनाए
आओ
उन जले घरों में
अब कुछ
दीया जलाएं !
उनके दिल के
ज़ख़्मों पर कुछ
मरहम पट्टी कर आएं
बड़ी मुश्किल से जो
घर बनाए
उन सकूनत में जो
सकून से रह न पाए
आओ
उनमें
कुछ दिया जलाएं
पूरी धरती सूर्य हुई है
खूब खून की बारिश हुई है
आओ
उसमें कुछ उम्मीदों की
बीज बो आएं
कुछ
नयन-नीर
नि:सृत कर आएं
और
बहते अश्रु को
वादों की रुमाल
से पोंछ आएं
अगले साल फ़सल काटनी है
आओ!अब वहां
मातम मनाएं
रचनाकार-डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र जी की अन्य कविताएं पढ़ें
अति उत्तम।।
ReplyDeleteVery heart touching lines
ReplyDeleteNice
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