#प्रेम#
प्रेम ही समर्पण है
प्रेम ही अर्पण है
प्रेम ही त्याग है
प्रेम ही जीवन
का भाग है
प्रेम रस है
प्रेम बिना
सब विरस है
प्रेम मीरा कबीर
की वाणी है
प्रेम सूर तुलसी की
कहानी है
प्रेम के सागर में
रसखान ने
गोता लगाया
और श्याम रूपी मोती पाया
प्रेम ही जीवन का सार है
प्रेम ही अभिसार है
प्रेम साधना है
प्रेम ईश्वर की आराधना है
प्रेम जीवन का रंग है
प्रेम जीवन का ढंग है
प्रेम है तो
पूरी कायनात संग है
प्रेम हनीमून है
प्रेम नहीं तो
न हनी है
न मून है
अपने जीवन में
प्रेम के ढाई आखर
जिसने उतार लिया
उसने इस संसार से
पार पा लिया।।
डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी केन्द्रीय विद्यालय इफको फूलपुर इलाहाबाद ( प्रयागराज)
प्रेम ही समर्पण है
प्रेम ही अर्पण है
प्रेम ही त्याग है
प्रेम ही जीवन
का भाग है
प्रेम रस है
प्रेम बिना
सब विरस है
प्रेम मीरा कबीर
की वाणी है
प्रेम सूर तुलसी की
कहानी है
प्रेम के सागर में
रसखान ने
गोता लगाया
और श्याम रूपी मोती पाया
प्रेम ही जीवन का सार है
प्रेम ही अभिसार है
प्रेम साधना है
प्रेम ईश्वर की आराधना है
प्रेम जीवन का रंग है
प्रेम जीवन का ढंग है
प्रेम है तो
पूरी कायनात संग है
प्रेम हनीमून है
प्रेम नहीं तो
न हनी है
न मून है
अपने जीवन में
प्रेम के ढाई आखर
जिसने उतार लिया
उसने इस संसार से
पार पा लिया।।
डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी केन्द्रीय विद्यालय इफको फूलपुर इलाहाबाद ( प्रयागराज)
Very nice
ReplyDeleteप्रेम की श्रेष्ठ व्याख्या ।
ReplyDeleteअति उत्तम✍️🙏
ReplyDeleteLove Is God
ReplyDeleteबहुत खूब जनाब। यही है जिवन का सार।
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteLove love love
ReplyDeleteप्रेम की अत्यंत उत्कट अभिव्यक्ति।सुंदर कविता,
ReplyDelete👍
ReplyDeleteलाजवाब ।।।।।
ReplyDeleteवाह! बहुत शानदार। हार्दिक बधाई।
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