अगर कोई इच्छा न हो
भविष्य में कुछ बनना न चाहो
तो फिर कोई भय नहीं है।
अगर स्वर्ग जाना नहीं चाहते तो
कोई भय नहीं होता,
कोई धर्मगुरु डरा नहीं पाता
जहां हो वही स्वर्ग बन जाता
अगर इसी क्षण में जीने लगे
तो भय मिट जाता है।
भय वासना के कारण पैदा होता है।
झाँको भय में।
जब भी भय लगे तो
देखो कि वह कहाँ से आ रहा है-
कौन सी इच्छा,
कौन सी वासना उसे निर्मित कर रही है-
और फिर उसकी व्यर्थता को देखो।
भय रूपांतरित हो जाता है
भय की ऊर्जा बदल जाती है
शांति में,
प्रेम में,
आनंद में
भविष्य में कुछ बनना न चाहो
तो फिर कोई भय नहीं है।
अगर स्वर्ग जाना नहीं चाहते तो
कोई भय नहीं होता,
कोई धर्मगुरु डरा नहीं पाता
जहां हो वही स्वर्ग बन जाता
अगर इसी क्षण में जीने लगे
तो भय मिट जाता है।
भय वासना के कारण पैदा होता है।
झाँको भय में।
जब भी भय लगे तो
देखो कि वह कहाँ से आ रहा है-
कौन सी इच्छा,
कौन सी वासना उसे निर्मित कर रही है-
और फिर उसकी व्यर्थता को देखो।
भय रूपांतरित हो जाता है
भय की ऊर्जा बदल जाती है
शांति में,
प्रेम में,
आनंद में
👌👌👌
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDeleteGreat msg my dear Sir
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