जीवन दो तरह से जिया जा सकता है
एक मालिक की तरह,
एक गुलाम की तरह।
गुलाम की तरह जो जीवन है,
उसे जीवन कहना भी गलत है।
मालिक से अर्थ है,
ऐसे जीना जैसे जीवन अभी और यहीं है।
कल पर छोड़कर नहीं,
आशा में नहीं,
यथार्थ में।
मालिक के जीवन का अर्थ है,
मन गुलाम हो,
चेतना मालिक हो।
होश मालिक हो,
वृत्तियां मालिक न हों।
विचारों का उपयोग किया जाए,
विचार हमारा उपयोग न कर लें।
लगाम हाथ में हो जीवन की।
जहां हम जीवन को ले जाना चाहें,
वहीं जीवन जाए।
मन के पीछे घसिटना न पड़े।
एक मालिक की तरह,
एक गुलाम की तरह।
गुलाम की तरह जो जीवन है,
उसे जीवन कहना भी गलत है।
मालिक से अर्थ है,
ऐसे जीना जैसे जीवन अभी और यहीं है।
कल पर छोड़कर नहीं,
आशा में नहीं,
यथार्थ में।
मालिक के जीवन का अर्थ है,
मन गुलाम हो,
चेतना मालिक हो।
होश मालिक हो,
वृत्तियां मालिक न हों।
विचारों का उपयोग किया जाए,
विचार हमारा उपयोग न कर लें।
लगाम हाथ में हो जीवन की।
जहां हम जीवन को ले जाना चाहें,
वहीं जीवन जाए।
मन के पीछे घसिटना न पड़े।
नमस्कार सर।
ReplyDeleteGood morning 🌻
ReplyDeleteGood morning 🌻
ReplyDeleteWahh! जीवन मालिक और गुलाम 👌 👌
ReplyDeleteWahh! जीवन मालिक और गुलाम 👌 👌
ReplyDeleteNice thoughts
ReplyDeleteविचार बहुत अच्छा है।comments dungi thodi disturb hu.
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