चार्ली
चैप्लिन यानी हम सब
लेखक-विष्णु
खरे
पाठ का सारांश –चार्ली
चैप्लिन ने हास्य कलाकार के रूप में पूरी दुनिया के बहुत बड़े दर्शक वर्ग को हँसाया
है | उनकी फिल्मों ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाने के साथ-साथ दशकों की वर्ग और
वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा | चार्ली ने कला में बुद्धि की अपेक्षा भावना को महत्त्व
दिया है | बचपन के संघर्षों ने चार्ली के भावी फिल्मों की भूमि तैयार कर दी थी| भारतीय
कला और सौंदर्यशास्त्र में करुणा का हास्य में परिवर्तन भारतीय परम्परा में नहीं
मिलता लेकिन चार्ली एक ऐसा जादुई व्यक्तित्व है जो हर देश, संस्कृति और सभ्यता को
अपना सा लगता हैं| भारतीय जनता ने भी
उन्हें सहज भाव से स्वीकार किया है| स्वयं पर हँसना चार्ली ने ही सिखाया| भारतीय
सिनेमा जगत के सुप्रसिद्ध कलाकार राजकपूर को चार्ली का भारतीयकरण कहा गया है |
चार्ली की अधिकांश फ़िल्में मूक हैं इसलिए उन्हें अधिक मानवीय होना पड़ा | पाठ में
हास्य फिल्मों के महान अभिनेता ‘चार्ली चैप्लिन’ की जादुई विशेषताओं का उल्लेख किया
गया है जिसमें उसने करुणा और हास्य में सामंजस्य स्थापित कर फ़िल्मों को सार्वभौमिक
रूप प्रदान किया।
प्रश्न१ -चार्ली
के जीवन पर प्रभाव डालने वाली मुख्य घटनाएँ कौन सी थी ?
उत्तर-
चार्ली के जीवन में दो ऐसी घटनाएँ घटीं जिन्होंने उनके भावी जीवन पर बहुत प्रभाव डाला
|
पहली घटना - जब
चार्ली बीमार थे उनकी माँ उन्हें ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सुना रही थी | ईसा के
सूली पर चढ़ने के प्रसंग तक आते-आते माँ-बेटा दोनों ही रोने लगे| इस घटना ने चार्ली
को स्नेह, करुणा और मानवता जैसे उच्च जीवन मूल्य दिए |
दूसरी घटना है–
बालक चार्ली कसाईखाने के पास रहता था| वहाँ सैकड़ों जानवरों को रोज मारा जाता था|
एक दिन एक भेड़ वहाँ से भाग निकली| भेड़ को पकड़ने की कोशिश में कसाई कई बार फिसला|
जिसे देखकर लोग हंसने लगे, ठहाके लगाने लगे| जब भेड़ को कसाई ने पकड़ लिया तो बालक
चार्ली रोने लगा| इस घटना ने उसके भावी फिल्मों में त्रासदी और हास्योत्पादक
तत्वों की भूमिका तय कर दी |
प्रश्न२ – आशय
स्पष्ट कीजिए–
चैप्लिन ने
सिर्फ फिल्मकला को ही लोकतांत्रिक नही बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा
वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा|
उत्तर-
लोकतांत्रिक बनाने का अर्थ है कि फिल्म कला को सभी के लिए लोकप्रिय बनाना और वर्ग
और वर्ण-व्यवस्था को तोड़ने का आशय है- समाज में प्रचलित अमीर-गरीब, वर्ण, जातिधर्म
के भेदभाव को समाप्त करना |चैप्लिन का चमत्कार यह है कि उन्होंने फिल्मकला को बिना
किसी भेदभाव के सभी लोगों तक पहुँचाया| उनकी फिल्मों ने समय भूगोल और संस्कृतियों
की सीमाओं को लाँघ कर सार्वभौमिक लोकप्रियता हासिल की | चार्ली ने यह सिद्ध कर
दिया कि कला स्वतन्त्र होती है, अपने सिद्धांत स्वयं बनाती है |
प्रश्न३– चार्ली
चैप्लिन की फिल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और
सौंदर्यशास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता?
उत्तर-
चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामंजस्य भारतीय कला
और सौंदर्यशास्त्र की परिधि में नहीं आताक्योंकि भारतीय रस-सिद्धांत में करुणा और
हास्य का मेल नहीं दिखाया जाता क्योंकि भारतीय सौंदर्यशास्त्र में करुणरस और
हास्य रस को परस्पर विरोधी माना गया है अर्थात जहां करुणा है वहाँ हास्य नहीं
हो सकता। भारत में स्वयं पर हँसने की परंपरा नहीं है परंतु चार्ली के पात्र अपने
पर हँसते–हँसाते हैं। चार्ली की फ़िल्मों के दृश्य हँसाते-हँसाते रुला देते हैं तो
कभी करुण दृश्य के बाद अचानक ही हँसने पर मजबूर कर देते हैं।
प्रश्न४– चार्ली
के फिल्मों की विशेषताएँ बताइए |
उत्तर-
चार्ली की फ़िल्मों में हास्य और करुणा का अद्भुत सामंजस्य है। उनकी फ़िल्मों
में भाषा का प्रयोग बहुत कम है। चार्ली की फ़िल्मों में बुद्धि की अपेक्षा भावना का महत्त्व अधिक है। उनकी
फ़िल्मों में सार्वभौमिकता है। चार्ली किसी भी संस्कृति को विदेशी नही
लगते। चार्ली सबको अपने लगते है। चार्ली ने फ़िल्मों को लोकतांत्रिक
बनाया और फ़िल्मों में वर्ग तथावर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। अपनी फिल्मों में चार्ली सदैव चिर युवा
दिखता है।
गद्यांश-आधारित
अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर
गद्यांश संकेत –चार्ली चैप्लिन यानी
हम सब (पृष्ठ १२० )
यदि यह वर्ष चैप्लिन की
..........................................काफी कुछ कहा जाएगा |
प्रश्न
(क)-विकासशील देशों में चैप्लिन क्यों मशहूर हो रहे हैं?
उत्तर - विकासशील देशों में जैसे-जैसे
टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, लोगों को उनकी फिल्मों को देखने
का अवसर मिल रहा है |एक बहुत बड़ा वर्ग नए सिरे से चार्ली को घड़ी सुधारते और जूते
खाने की कोशिश करते देख रहा है, इसीलिए चार्ली विकासशील देशों में लोकप्रिय हो रहे
हैं |
(ख)- पश्चिम में
चार्ली का पुनर्जीवन कैसे होता रहता है ?
उत्तर - पश्चिम में चार्ली की फिल्मों
का प्रदर्शन होता रहता है| उनकी कला से प्रेरणा पाकर हास्य फ़िल्में बनती रहती हैं
| उनके द्वारा निभाए किरदारों की नकल, अन्य कलाकार करते हैं | पश्चिम में चार्ली
का पुनर्जीवन होता रहता है|
(ग)- चार्ली को
लोग बुढ़ापे तक क्यों याद रखेंगे ?
उत्तर –हास्य कलाकार के रूप में लोग
चार्ली को बुढ़ापे तक याद रखेंगे क्योंकि उनकी कला समय, भूगोल और संस्कृतियों की
सीमाओं को लाँघकर लाखों लोगों को हँसा रही है|
(घ)- चार्ली की फिल्मों
के बारे में काफी कुछ कहा जाना क्यों बाक़ी है ?
उत्तर –चैप्लिन की ऐसी कुछ फ़िल्में या इस्तेमाल न
की गयी रीलें मिली हैं जिनके बारे में
कोई नहीं जानता था | चार्ली की भावनाप्रधान हास्य फिल्मों ने कला के नए
प्रतिमान स्थापित किए हैं अत: चार्ली की फिल्मों के बारे में अभी काफी कुछ कहा
जाना बाक़ी है|