दिन जल्र्दी जल्दी ढलता है।
प्रस्तुत कविता में कवि बच्चन कहते हैं कि समय बीतते जाने का एहसास
हमें लक्ष्य-प्राप्ति के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।
मार्ग पर चलने वाला राही यह सोचकर अपनी मंजिल की
ओर कदम बढ़ाता है कि कहीं रास्तें में ही रात न हो जाए।
पक्षियों को भी दिन बीतने के साथ यह एहसास होता
है कि उनके बच्चे कुछ पाने की आशा में घोंसलों से झांक रहे होंगे। यह सोचकर उनके
पंखो में गति आ जाती है कि वे जल्दी से अपने बच्चों से मिल सकें।
कविता में आशावादी स्वर है।गंतव्य
का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति भर देता है।आशा की किरण जीवन
की जड़ता को समाप्त कर देती है। वैयक्तिक अनुभूति का कवि होने पर भी बच्चन
जी की रचनाएँ किसी सकारात्मक सोच
तक ले जाने का प्रयास हैं।
अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्न
“बच्चे
प्रत्याशा में होंगे
नीड़ों
से झांक रहे होंगे।
यह
ध्यान परों में चिड़िया के
भरता
कितनी चंचलता है।”
प्रश्न १ :-पथ
और रात से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :-जीवन
रूपी पथ में मृत्यु रूपी रात से सचेत रहने के लिए कहा गया है।
प्रश्न२ :-पथिक
के पैरों की गति किस प्रकार बढ़ जाती है?
उत्तर :-मंजिल
के पास होने का अहसास‚ व्यक्ति
के मन में स्फूर्ति भर देता है।
प्रश्न३
:-चिड़िया की चंचलता का क्या कारण है?
उत्तर :-चिड़िया
के बच्चे उसकी प्रतीक्षा करते होंगे यह विचार चिड़िया के पंखों में गति भर कर उसे
चंचल बना देता है।
प्रश्न४
:-प्रयासों में तेजी लाने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए?
उत्तर :- प्रयासों में
तेजी लाने के लिए मनुष्य को जीवन में एक निश्चित मधुर लक्ष्य स्थापित करना चाहिए।