कविता – बात सीधी थी पर
प्रस्तुत कविता में भाव के अनुरूप भाषा के
महत्त्व पर बल दिया गया है।
कवि कहते हैं कि एक बार वह सरल सीधे
कथ्य की अभिव्यक्ति में भी भाषा के चक्कर में ऐसा फँस गया कि उसे कथ्य ही बदला-बदला सा
लगने लगा। कवि कहता है कि जिस प्रकार जोर जबरदस्ती करने से कील की चूड़ी मर जाती है
और तब चूड़ीदार कील को चूड़ीविहीन कील की तरह ठोंकना पड़ता है उसी प्रकार कथ्य के
अनुकूल भाषा के अभाव में प्रभावहीन भाषा में भाव को अभिव्यक्ति किया जाता है।
अंत में भाव ने एक शरारती बच्चे के
समान कवि से पूछा कि तूने क्या अभी तक भाषा का स्वाभाविक प्रयोग नहीं सीखा।
- इस कविता
में भाषा की संप्रेषण-शक्ति का महत्त्व दर्शाया गया है।
- कृत्रिमता
एवं भाषा की अनावश्यक पच्चीकारी से भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती है।
शब्द
अपनी अर्थवत्ता खो बैठता है।
- “ उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी
सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम ,परिष्कार और साफ़-सुथरापन है “
“ आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह
भाषा में बेकार घूमने लगी !
हार कर मैंने उसे कील की तरह ठोंक दिया !
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत !
बात ने ,जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे
खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा –
क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा ?
प्रश्न१:- इनपंक्तियों की भाषा संबंधी विशेषताएं लिखिए |
उत्तर :- इनपंक्तियों की भाषा संबंधी विशेषताएं निम्नलिखितहैं :-
१ बिंब /मुहावरों का प्रयोग
२ नए उपमान
प्रश्न २ काव्यांश में आए मुहावरों का अर्थ
स्पष्ट कीजिए|
उत्तर :-
- बिंब /मुहावरों का अर्थ :- बात की
चूड़ी मर जाना –बात में कसावट न होना
बात का
शरारती बच्चे की तरह खेलना –बात का पकड़
में न आना
पेंच को कील
की तरह ठोंक देना –बात का प्रभावहीन
हो
जाना
प्रश्न ३ :-
काव्यांश में आएउपमानों को स्पष्ट
कीजिए|
उत्तर:-
- नए उपमान
– अमूर्त उपमेय भाषा के लिए मूर्त उपमान
कील का प्रयोग।
- बात के
लिए शरारती बच्चे का उपमान
कविता–
बात सीधी थी पर
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न १ :- भाषा
के चक्कर में बात कैसे फंस जाती है?
उत्तर :-आडंबरपूर्ण भाषा का प्रयोग करने से बात
का अर्थ समझना कठिन हो जाता है।
प्रश्न२ :- भाषा
को अर्थ की परिणति तक पहुँचाने के लिए कवि क्या क्या प्रयास करते हैं?
उत्तर :- भाषा को अर्थ की परिणति तक पहुँचाने के
लिए कवि उसे नाना प्रकार के अलंकरणों से
सजाता
है कई प्रकार के भाषा और अलंकार संबंधी प्रयोग करता है।
प्रश्न३:- भाषा
मे पेंच कसना क्या है?
उत्तर :-भाषा को
चामत्कारिक बनाने के लिए विभिन्न
प्रयोग करना भाषा मे पेंच कसना है
परंतु इससे भाषा का पेंच ज्यादा कस जाता है
अर्थात कथ्य एवं शब्दों में कोई तालमेल नहीं बैठता, बात समझ में ही नहीं आती।
प्रश्न४:- कवि
किस चमत्कार के बल पर वाहवाही की उम्मीद करता है?
उत्तर :-कवि शब्दों के चामत्कारिक प्रयोग के बल
पर वाहवाही की उम्मीद करता है।
प्रश्न५:-बात एवं शरारती बच्चे का बिंब स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर :-जिस प्रकार एक शरारती बच्चा किसी की पकड़
में नहीं आता उसी प्रकार एक उलझा दी गई बात तमाम कोशिशों के बावजूद समझने के योग्य
नहीं रह जाती चाहे उसके लिए कितने प्रयास किए जाएं,वह एक शरारती बच्चे की तरह
हाथों से फिसल जाती है।