2 पतंग
आलोक धन्वा
पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा बच्चों की बाल
सुलभ इच्छाओं और उमंगों तथा प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत
सुन्दर चित्रण किया है।भादों मास गुजर जाने के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है।चारों
ओर प्रकाश फैल जाता है।सवेरे के सूर्य का प्रकाश लाल चमकीला हो जाता है।शरद ऋतु के
आगमन से उत्साह एवं उमंग का माहौल बन जाता है।
शरद ऋतु का यह चमकीला इशारा बच्चों को पतंग उड़ाने
के लिए बुलाता है, और पतंग उड़ाने के लिए मंद मंद वायु चलाकर आकाश को
इस योग्य बनाता है कि दुनिया की सबसे हलके रंगीन कागज और बांस की सबसे पतली कमानी
से बनी पतंगें आकाश की ऊँचाइयों में उड़ सके‘।बच्चों के पाँवों की कोमलता से आकर्षित हो कर
मानो धरती उनके पास आती है अन्यथा उनके पाँव
धरती पर पड़ते ही नहीं| ऐसा लगता है मानो वे हवा में उड़ते जा रहे हैं।पतंग
उड़ाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं |एक संगीतमय ताल पर उनके शरीर हवा में लहराते
हैं।वे किसी भी खतरे से बिलकुल बेखबर होते हैं।बाल मनोविज्ञान. बाल क्रिया– कलापों एवं बाल सुलभ इच्छाओं का सुंदर
बिंबों के माध्यम से अंकन किया गया है।
सौंदर्य-बोध संबंधी प्रश्न
‘जन्म से ही लाते हैं अपने साथ कपास’-
‘दिशाओं को मृदंग की बजाते हुए’
‘और भी निडर हो कर सुनहले सूरज के सामने आते
हैं’।
‘छतों को और भी नरम बनाते हुए’।
‘जब वे
पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अक्सर।‘
प्रश्न १:- ‘जन्म से ही लाते हैं अपने साथ कपास’-
इस पंक्ति की भाषा संबंधी विशेषता लिखिए |
उत्तर :- इस पंक्ति की भाषा संबंधी विशेषता निम्नलिखित हैं :-
नए
प्रतीकों का प्रयोग :-कपास-कोमलता
प्रश्न२:- इस पंक्ति में प्रयुक्त लाक्षणिक अर्थ
को स्पष्ट कीजिए|
उत्तर :-
लाक्षणिकता -‘दिशाओं को मृदंग की बजाते हुए’-संगीतमय वातावरण की सृष्टि
प्रश्न३ :- सुनहला सूरज प्रतीक का अर्थ लिखें |
उत्तर :- सुनहले सूरज के
सामने: – निडर ,उत्साह से भरे होना