बादल राग
“तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया –
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से ,
घन भेरी –गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से नवजीवन की ,ऊंचा कर
सिर,
ताक रहे हैं ,ऐ विप्लव के बादल!
फिर –फिर
बार –बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार ,
हृदय थाम लेता संसार ,
सुन- सुन घोर वज्र हुंकार |
अशनि पात से शायित शत-शत वीर ,
क्षत –विक्षत हत अचल
शरीर,
गगन- स्पर्शी
स्पर्द्धा धीर |”
प्रश्न१:-
कविता में बादल किस का प्रतीक है?और क्यों?
उत्तर :-बादलराग क्रांति का प्रतीक है। इन दोनों
के आगमन के उपरांत विश्व हरा- भरा. समृद्ध और स्वस्थ हो जाता है।
प्रश्न २ :-सुख को अस्थिर क्यों कहा गया है?
उत्तर :-सुख सदैव बना नहीं रहता अतः उसे अस्थिर
कहा जाता है।
प्रश्न३ :-विप्लवी बादल की युद्ध रूपी नौका की
क्या- क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर
:-बादलों के अंदर आम आदमी की इच्छाएँ भरी हुई हैं।जिस तरह से युद्र्ध नौका में युद्ध की सामग्री भरी होती है।युद्ध की तरह
बादल के आगमन पर रणभेरी बजती है। सामान्यजन की आशाओं के अंकुर एक साथ फूट पड़ते
हैं।
प्रश्न४ :-बादल के बरसने का गरीब एवं धनी वर्ग से
क्या संबंध जोड़ा गया है?
उत्तर:-बादल
के बरसने से गरीब वर्ग आशा से भर जाता है
एवं धनी वर्ग अपने विनाश की आशंका से भयभीत हो उठता है ।
सौंदर्य-बोध-संबंधी प्रश्न
“हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार ,
हिल हिल
खिल खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते।
विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते|”
प्रश्न १:- निम्न लिखित प्रतीकों को स्पष्ट कीजिए– छोटे पौधे, सुप्त अंकुर
उत्तर :- छोटे पौधे- शोषित वर्ग , सुप्त अंकुर-
आशाएं ,
प्रश्न२:- ‘हँसते हैं छोटे पौधे’-का प्रतीकार्थ
स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :-प्रसन्न चित्त निर्धन वर्ग जो क्रांति की
संभावना मात्र से खिल उठता है।
प्रश्न३:-‘छोटे ही हैं शोभा पाते’ में निहित
लाक्षणिकता क्या है ?
उत्तर:-बचपन में मनुष्य निश्चिंत होता है। निर्धन
मनुष्य उस बच्चे के समान है जो क्रांति के समय भी निर्भय होता है और अंतत:
लाभान्वित होता है।
कविता–
बादल राग
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न१:- पूंजीपतियों की अट्टालिकाओं को आतंक
भवन क्यों कहा गया है ?
उत्तर
:-बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत वृक्ष घबरा जाते हैं।उनको उखड़कर गिर
जाने का भय होता है |उसी प्रकार क्राति की हुंकार से पूँजीपति घबरा
उठते हैं, वे दिल थाम कर रह जाते हैं।उन्हें अपनी संपत्ति
एवं सत्ता के छिन जाने का भय होता है | उनकी अट्टालिकाएँ मजबूती का
भ्रम उत्पन्न करती हैं पर वास्तव में वे अपने भवनों में आतंकित
होकर रहते हैं|
प्रश्न२:- कवि ने किसान का जो शब्द-चित्र दिया है
उसे अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर
:- किसान के जीवन का रस शोषकों ने चूस लिया है ,आशा और उत्साह
की संजीवनी समाप्त हो चुकी है |शरीर से भी वह दुर्बल एवं खोखला हो चुका है |
क्रांति का बिगुल उसके हृदय में आशा का संचार करता है |वह खिलखिला
कर बादल रूपी क्रांति का स्वागत करता है |
प्रश्न३:-
अशनि पात क्या है ?
उत्तर:-
बादल की गर्जना के साथ बिजली गिरने से बड़े
–बड़े वृक्ष जल कर राख हो जाते हैं | उसी प्रकार क्रांति की आंधी आने से शोषक,
धनी वर्ग की सत्ता समाप्त हो जाती है और वे खत्म हो जाते हैं |
प्रश्न४:-
पृथ्वी में सोये अंकुर किस आशा से ताक रहे हैं ?
उत्तर
:- बादल के बरसने से बीज अंकुरित हो लहलहाने लगते हैं | अत: बादल की
गर्जन उनमें आशाएँ उत्पन्न करती है |वे सिर ऊँचा कर बादल के
आने की राह निहारते हैं |ठीक उसी प्रकार निर्धन व्यक्ति शोषक के
अत्याचार से मुक्ति पाने और अपने जीवन की खुशहाली की आशा में क्रांति रूपी
बादल की प्रतीक्षा करते हैं |
प्रश्न५:- रुद्ध कोष है, क्षुब्द्ध तोष –किसके
लिए कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :- क्रांति होने पर पूंजीपति वर्ग का
धन छिन जाता है,कोष रिक्त हो जाता है | उसके धन की आमद समाप्त हो जाती है |
उसका संतोष भी अब ‘बीते दिनों की बात’ हो जाता है |
प्रश्न६:- अस्थिर सुख पर दुःख की छाया का भाव
स्पष्ट कीजिए |
उत्तर
:- मानव-जीवन में सुख सदा बना नहीं रहता है ,उस पर दुःख की छाया सदा मंडराती रहती
है|
प्रश्न७:-
बादल किस का प्रतीक है ?
उत्तर
:- बादल इस कविता में क्रांति का प्रतीक है |जिस प्रकार बादल प्रकृति ,किसान और आम आदमी के जीवन में
आनंद का उपहार ले कर आता है उसी प्रकार क्रांति निर्धन शोषित वर्ग के जीवन में समानता का अधिकार व संपन्नता ले
कर आता है
प्रश्न८:- बादल को जीवन का पारावार क्यों कहा
गया है ?
उत्तर
:- क्रांति रूपी बादल का आगमन जीवनदायी,
सुखद होता है -पारावार अर्थात सागर| वह जीवन में खुशियों का खजाना
लेकर आता है |निर्धन वर्ग को समानता
का अधिकार देता है |सुख समृद्धि का कारक बनकर अत्याचार की अग्नि से मुक्त करता है |