सहर्ष स्वीकारा है
गजानन माधव मुक्तिबोध
सार
- कविता में
जीवन के सुख– दुख‚ संघर्ष– अवसाद‚ उठा– पटक को
समान रूप से स्वीकार करने की बात कही गई है।
- स्नेह की
प्रगाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहुँच कर वियोग की कल्पना मात्र से त्रस्त हो उठती
है।
- प्रेमालंबन
अर्थात प्रियजन पर यह भावपूर्ण
निर्भरता‚ कवि के मन
में विस्मृति की चाह उत्पन्न करती है।वह अपने प्रिय को पूर्णतया भूल जाना
चाहता है |
- वस्तुतः
विस्मृति की चाह भी स्मृति का ही रूप है। यह विस्मृति भी स्मृतियों के
धुंधलके से अछूती नहीं है।प्रिय की याद किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है|
- परंतु कवि
दोनों ही परिस्थितियों को उस परम् सत्ता की परछाईं मानता है।इस परिस्थिति को
खुशी –खुशी स्वीकार करता है |दुःख-सुख ,संघर्ष –अवसाद,उठा –पटक, मिलन-बिछोह
को समान भाव से स्वीकार करता
है|प्रिय के सामने न होने पर भी उसके आस-पास होने का अहसास बना रहता
है|
- भावना की
स्मृति विचार बनकर विश्व की गुत्थियां सुलझाने में मदद करती है| स्नेह में
थोड़ी निस्संगता भी जरूरी है |अति किसी चीज की अच्छी नहीं |’वह’ यहाँ कोई भी
हो सकता है दिवंगत माँ प्रिय या अन्य |कबीर के राम की तरह ,वर्ड्सवर्थ की
मातृमना प्रकृति की तरह यह प्रेम सर्वव्यापी होना चाहता है |
“मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात भर
मुझ
पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!”
- छायावाद के
प्रवर्तक प्रसाद की लेखनी से यह स्वर
इस प्रकार ध्वनित हुआ है –
“दुख
की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात।
एक
परदा यह झीना नील छिपाए है जिसमें सुख गात।“
यह
कविता ‘नई कविता’ में व्यक्त रागात्मकता को आध्यात्मिकता के स्तर पर प्रस्तुत करती
है।
अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्न
“ज़िंदगी
में जो कुछ भी है
सहर्ष
स्वीकारा है ;
इसलिए
कि जो कुछ भी मेरा है
वह
तुम्हें प्यारा है|
गरबीली
गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सबयह वैभव विचार सब
दृढ़ता
यह,भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक
है, मौलिक है
इसलिए
कि पल-पल में
जो
कुछ भी जाग्रत है अपलक है-
संवेदन
तुम्हारा है!”
प्रश्न १:- कवि और कविता का नाम लिखिए|
उत्तर:-कवि- गजानन माधव मुक्तिबोध
कविता–सहर्ष स्वीकारा है
प्रश्न२:- गरबीली गरीबी,भीतर की सरिता आदि
प्रयोगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :-गरबीली गरीबी– निर्धनता का स्वाभिमानी रूप ।कवि के विचारों की
मौलिकता ,अनुभवों की गहराई ,दृढ़ता ,हृदय का प्रेम उसके गर्व
करने का कारण है |
प्रश्न३ :- कवि अपने प्रिय को किस बात का श्रेय
दे रहा है ?
उत्तर:- निजी जीवन के प्रेम का संबंल कवि को
विश्व व्यापी प्रेम से जुड़ने की प्रेरणा देता है |अत: कवि इसका श्रेय अपने प्रिय
को देता है |
सौंदर्य-बोध-ग्रहण संबंधी प्रश्न
“जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उंडेलता हूँ ,भर –भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है ?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह ,ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात- भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है |”
प्रश्न१:- कविता की भाषा संबंधी दो विशेषताएँ
लिखिए |
उत्तर:- १-सटीक प्रतीकों,
२-
नये उपमानों का प्रयोग
प्रश्न२ :-“दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है?”- -के लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :- “दिल में क्या झरना है?-हृदय के अथाह प्रेम का परिचायक
मीठे
पानी का सोता है?”-अविरल, कभी समाप्त होने वाला प्रेम
प्रश्न३:- कविता में प्रयुक्त बिंब का उदाहरण
लिखिए |
दृश्य बिंब– “मुस्काता चाँद
ज्यों धरती पर रात भर। मुझ पर तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा।“
5 सहर्ष स्वीकारा है
गजानन माधव मुक्तिबोध
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न१:-कवि
ने किसे सहर्ष स्वीकारा है?
उत्तर:-
- कविता में
जीवन के सुख– दुख‚ संघर्ष– अवसाद‚ उठा– पटक को
समान रूप से स्वीकार
करने
की बात कही गई है।
- प्रिय से
बिछुड़ कर भी उसकी स्मृतियों को व्यापक स्तर पर ले जाकर विश्व चेतना में मिला
देने की बात कही गई है |
प्रश्न२:-कवि को अपने अनुभव विशिष्ट एवं मौलिक
क्यों लगते हैं?
उत्तर:-कवि
को अपनी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गम्भीर अनुभव विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन की भावनाओं की
नदी, यह सब नए रूप में मौलिक लगते हैं क्यों कि उसके जीवन में जो कुछ भी घटता है
वह जाग्रत है, विश्व उपयोगी है अत: उसकी उपलब्धि है और वह उसकी प्रिया की प्रेरणा से ही संभव
हुआ है। उसके जीवन का प्रत्येक अभाव ऊर्जा बनकर जीवन में नई दिशा ही
देता रहा है |
प्रश्न३:-
“दिल
का झरना” का
सांकेतिक अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-जिस
प्रकार झरने में चारों ओर की पहाड़ियों से पानी इकट्टठा हो जाता है उसे एक कभी
खत्म न होने वाले स्रोत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है उसी प्रकार कवि
के दिल में स्थित प्रेम उमड़ता है, कभी समाप्त नहीं होता। जीवन का सिंचन
करता है| व्यक्तिगत स्वार्थ से दूर पूरे समाज के लिए जीवनदायी
हो जाता है |
प्रश्न४:- ‘जितना भी उँड़ेलता हूँ भर-भर फिर आता है “ का
विरोधाभास स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-हृदय में स्थित प्रेम की विशेषता यह है कि जितना
अधिक व्यक्त किया जाए उतना ही बढ़ता जाता है।
प्रश्न५:-
वह रमणीय उजाला क्या है जिसे कवि सहन नहीं कर पाता ?
उत्तर:-कवि
ने प्रियतमा की आभा से,प्रेम के सुखद भावों से सदैव घिरे रहने की स्थिति को उजाले
के रूप में चित्रित किया है।इन स्मृतियों से घिरे रहना आनंददायी होते हुए भी कवि
के लिए असहनीय हो गया है क्योंकि इस आनंद से वंचित हो जाने का भय भी उसे सदैव
सताता रहता है।