अतीत
में दबे पाँव: ओम थानवी
पाठ का सार–यहओम
थानवी के यात्रा-वृत्तांत और रिपोर्ट का मिला-जुला रूप है|उन्होंने इस पाठ में
विश्व के सबसे पुराने और नियोजित शहरों-मुअनजो-दड़ो तथा हड़प्पा का वर्णन
किया है | पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मुअनजो-दड़ो ओर पंजाब प्रांत में हड़प्पा
नाम के दो नगरों को पुरातत्वविदों ने खुदाई के दौरान खोज निकाला था|मुअनजो-दड़ो
ताम्रकाल का सबसे  बड़ा शहर था
|मुअनजो-दड़ो अर्थात मुर्दों का टीला| यह नगर मानव निर्मित छोटे–छोटे टीलों
पर बना था |मुअनजो-दड़ो में प्राचीन और बड़ा बौद्ध स्तूप है | इसकी नगर योजना
अद्वितीय है| लेखक ने खंडहर  हो चुके
टीलों, स्नानागार, मृद-भांडों, कुओं–तालाबों, मकानों व मार्गों का उल्लेख किया है
जिनसे शहर की सुंदर नियोजन व्यवस्था का पता चलता है| बस्ती में घरों के दरवाजे
मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते, हर घर में जल निकासी की व्यवस्था है, सभी नालियाँ
की ढकी हुई हैं, पक्की ईंटों  का प्रयोग
किया गया है| 
नगर में चालीस फुट लम्बा ओर पच्चीस
फुट चौड़ा एक महाकुंड भी है |इसकी दीवारें ओर तल पक्की ईंटों से बने हैं |
कुंड के पास आठ स्नानागार हैं | कुंड में बाहर के अशुद्ध पानी को न आने
देने का ध्यान रखा गया | कुंड में पानी की व्यवस्था के लिए कुंआ है | एक विशाल
कोठार भी है जिसमें अनाज रखा जाता था |उन्नत खेती के भी निशान दिखते हैं
-कपास, गेहूं, जौ, सरसों, बाजरा आदि के प्रमाण मिले हैं| 
          सिंधु घाटी सभ्यता में न तो भव्य
राजमहल मिलें हैं ओर ही भव्य मंदिर| नरेश के सर पर रखा मुकुट भी छोटा है| मुअनजो-दड़ो
सिंधु घाटी का सबसे बड़ा नगर है फिर भी इसमें भव्यता व आडम्बर का अभाव रहा है| उस
समय के लोगों ने कला ओर सुरुचि को महत्त्व दिया| नगर-नियोजन, धातु एवं पत्थर की
मूर्तियाँ, मृद-भांड ,उन पर चित्रित मानव ओर अन्य आकृतियाँ ,मुहरें, उन पर बारीकी
से की गई चित्रकारी| एक पुरातत्त्ववेत्ता के मुताबिक सिंधु सभ्यता की खूबी उसका
सौंदर्य-बोध है जो ”राजपोषित या  धर्मपोषित
न होकर समाजपोषित था|”
प्रश्नोत्तर–
१.      ‘सिन्धु सभ्यता साधन सम्पन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था |’ प्रस्तुत कथन से आप कहाँ तक सहमत
हैं?
उत्तरः दूसरी
सभ्यताएँ राजतंत्र और धर्मतंत्र द्वारा संचालित थी । वहाँ बड़े-बड़े सुन्दर महल, पूजा स्थल, भव्य मूर्तियाँ, पिरामिड
और मन्दिर मिले हैं। राजाओं, धर्माचार्यों की समाधियाँ भी मौजूद हैं। किंतु सिन्धु
सभ्यता, एक साधन-सम्पन्न सभ्यता थी परन्तु उसमें राजसत्ता या धर्मसत्ताके
चिह्न नहीं मिलते। वहाँ की नगर योजना,वास्तुकला,मुहरों,ठप्पों,जल-व्यवस्था,साफ-सफाई और सामाजिक व्यवस्था आदि की एकरूपताद्वारा उनमें
अनुशासन देखा जा सकता है |सांस्कृतिक धरातलपर यह तथ्य सामने आता है कि सिन्धु घाटी
की सभ्यता, दूसरीसभ्यताओं से अलग एवं स्वाभाविक,
किसी प्रकार की कृत्रिमता एवं आडंबररहितथी जबकि अन्य
सभ्यताओं में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते हुए भव्य महल , मंदिर ओर
मूर्तियाँ बनाई गईं किंतु सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी
मूर्तियाँ, खिलौने, मृद-भांड, नावें मिली हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि
सिन्धु सभ्यता सम्पन्न थी परन्तु उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।
२.      ‘सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य बोध है जो राजपोषित न होकर
समाज-पोषित था।‘ ऐसा क्यों कहा गया है?
     
उत्तरः  सिन्धु सभ्यता में
औजार तो बहुत मिलेहैं,परंतु
हथियारों का भी प्रयोग होता रहा होगा , इसका कोई प्रमाण नहींहै। वे लोग अनुशासनप्रिय थे परन्तु यह अनुशासन किसी ताकत के बल के
द्वारा कायम नहीं किया गया,बल्कि लोग अपने
मन और कर्म से ही अनुशासन प्रिय थे। मुअनजो-दड़ो  की खुदाई में एक दाढ़ी वाले नरेश की छोटी मूर्ति
मिली है परन्तु यह मूर्ति किसी राजतंत्र या धर्मतंत्र का प्रमाण नहीं कही जा सकती।
विश्व की अन्य सभ्यताओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन से भी यही अनुमान लगाया जा सकता
है कि सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्यबोध है जो कि समाज पोषित है, राजपोषित या धर्मपोषित नहीं है।
३.     
 ‘यह सच है कि यहाँ किसी आँगन की
टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आप को कहीं नहीं ले जातीं,वे आकाश की
तरफ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता
है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं उस
के पार झाँक रहे हैं।’ इसके पीछे लेखक का क्या आशय है?
     
उत्तरः  इस कथन से लेखक का आशय है कि
इन टूटे-फूटे घरों की सीढ़ियों पर खड़े होकर आप 
विश्व की सभ्यता के दर्शनकर सकते हैं क्योंकि सिन्धु सभ्यता
विश्व की महान सभ्यताओ में से एक है। सिन्धु सभ्यता आडंबररहित एवं
अनुशासनप्रिय है। खंडहरों से मिले अवशेषों और इन टूटे-फूटे घरों से केवल
सिन्धु सभ्यता का इतिहास ही नहीं देखा जा सकता है बल्कि उससे कहीं आगे मानवता
के चिह्न ओर मानवजाति के क्रमिक विकास को भी देखा जा सकता है। कई प्रश्न -
ऐसे कौन से कारण रहे होंगे कि ये महानगर आज केवल खंडहर बन कर रह गए हैं?, वे बड़े महानगर
क्यों उजड़ गए?, उस जमाने के लोगों की वास्तुकला, कला ओर ज्ञान में रुचि, समाज के
लिए आवश्यक मूल्य - अनुशासन, सादगी, स्वच्छता, सहभागिता आदिहमें मानवजाति के
क्रमिक विकास पर पुनः चिंतन करने पर मजबूर कर देते हैं । इस प्रकार हम इन सीढ़ियों
पर चढ़कर किसी इतिहास की ही खोज नहीं करना चाहते बल्कि सिन्धु सभ्यता के सभ्य
मानवीय समाज को देखना चाहते हैं।
४.     
हम  सिन्धु 
सभ्यता को जल-संस्कृति कैसे कह सकते हैं ?
   उत्तरःसिन्धु सभ्यता एक जल-संस्कृति थी | प्रत्येक
घर में एक स्नानघरथा । घर के भीतर से पानी या मैला पानी नालियों के
माध्यम से बाहर हौदी में आता है और फिर बड़ी नालियों में चला जाता है।
कहीं-कहीं नालियाँ ऊपर से खुली हैं परन्तु अधिकतर नालियाँ ऊपर सेबंदहैं।
इनकी जलनिकासी व्यवस्था बहुत ही ऊँचे दर्जे की था | नगर में कुओं
का प्रबंध था । ये कुएँ पक्की ईटों के बने थे। सिन्धु सभ्यता से जुड़े इतिहासकारों
का मानना है कि यह सभ्यता विश्व में पहली ज्ञात संस्कृति है जो कुएँ खोदकर भू-जल
तक पहुँची। अकेले मुअनजो-दड़ों नगर में सात सौ कुएँ हैं।यहाँ का महाकुंड
लगभग चालीस फुट लम्बा ओर पच्चीस फुट चौड़ा है|इस प्रकार मुअनजो-दड़ों में पानी की
व्यवस्था सभ्य समाज की पहचान है। 
५.      मुअनजो-दड़ो की गृह-निर्माण योजना पर संक्षेप में प्रकाश डालिए|
उत्तर- मुअनजो-दड़ो नगर की मुख्य सड़क के दोनों ओर घर हैं
परंतु किसी भी घर का दरवाजामुख्य सड़क पर नहीं खुलता। घर जाने के लिए
मुख्य सड़क से गलियों में जाना पड़ता है,सभी घरों के लिए
उचित जल निकासी व्यवस्था है। घर पक्की ईंटों के बने
हैं|छोटे घरों में खिड़कियाँ नहीं थीं किंतु बड़े घरों में आंगन के भीतर चारों तरफ
बने कमरों में खिड़कियाँ हैं| घर छोटे भी हैं ओर बड़े भी किंतु सभी घर कतार में बने
हैं|
६.       ‘सिन्धु सभ्यता ताकत से शासित
होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी’- स्पष्ट कीजिए।
उत्तरःसंकेत
बिंदु -    खुदाई से प्राप्त
अवशेषों में औजार तो मिले हैं किंतु हथियार नहीं| कोई खड्ग ,भाला, धनुष-बाण नहीं
मिला| 
तथा भव्य महलों
व समाधियों के न होने से कह सकते हैं कि सिन्धु सभ्यता ताकत से नहीं समझ से
अनुशासित थी।
७. संसार की मुख्य प्राचीन सभ्यताएँ कौन-कौन सी हैं?प्राचीनतम
सभ्यता कौन-सी है उसकी प्रमाणिकता का आधार क्या है ?
     
उत्तरः  मिस्र की नील घाटी की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता, बेबीलोन की सभ्यता, सिन्धु घाटी की सभ्यता। सबसे प्राचीन है सिन्धु घाटी की सभ्यता। प्रमाण है
1922में मिले हड़प्पा व 
मुअनजो-दड़ोनगरों के अवशेष। ये नगर ईसा
पूर्व के हैं।
८.सिन्धु घाटी की सभ्यता की विशिष्ट
पहचान क्या है?
 
उत्तरः1. एक जैसे आकार की पक्की ईटों का
प्रयोग, 2. जल निकासी की उत्कृष्ट व्यवस्था,
             3. तत्कालीन वास्तुकला,
4. नगर का श्रेष्ठ नियोजन।
९ .मुअनजो-दड़ोमें
पर्यटक क्या-क्या देख सकते हैं?
       उत्तरः 1.बौद्ध स्तूप2. महाकुंड 3.अजायबघर
आदि
१० . सिन्धु सभ्यता व आजकल की नगर निर्माण योजनाओं में साम्य व अन्तर बताइए।
       उत्तरः साम्य-1. अच्छी जल निकास योजना,ढकी हुई नालियाँ, 2. नौकरों के लिए अलग आवास व्यवस्था,  3. पक्की ईंटों का प्रयोग।
अन्तर- नगर
योजना, आधुनिक तकनीक का प्रयोग, अत्याधुनिक भवन–निर्माण सामग्री का प्रयोग| 
११.कुलधरा
कहाँ है?मुअनजो-दड़ोके खण्डहरों को देख कुलधरा की याद
क्योंआती है?
 उत्तरः कुलधरा
जैसलमेर के मुहाने पर पीले पत्थरों से बने घरों वाला सुन्दर गाँव है।
कुलधरा के निवासी 150 वर्ष पूर्व राजा
से तकरार होने पर गाँव खाली करके चले गए। उनके घर अब खण्डहर बन चुके
हैं,  परंतु ढ़हे नहीं
|घरों की दीवारें और खिड़कियाँ ऐसी हैं मानो सुबह लोग काम पर गए हैं और साँझ होते
ही लौट आएंगें |मुअनजो-दड़ोके खण्डहरों को देखकर कुछ ऐसा ही आभास होता है वहाँ घरों
के खण्डहरों में घूमते समय किसी अजनबी घर में अनधिकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता
है| पुरातात्विक खुदाई अभियान की यह खूबी रही है कि सभी वस्तुओं को बड़े सहेज कर
रखा गया | अतः कुलधरा की बस्ती और मुअनजो-दड़ोके खण्डहर अपने काल के इतिहास का
दर्शन कराते हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण अभ्यास-प्रश्न:
१. सिन्धु घाटी के निवासी खेती करते थे- इस कथन को सिद्ध कीजिए।
२. ’टूटे-फूटे खण्डहर सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती
जिन्दगियों के अनछुए समयों का दस्तावेज होते हैं।’ इस कथन का
भाव स्पष्ट कीजिए।
३.आज
जल संकट एक बड़ी समस्या है| ऐसे में सिन्धु सभ्यता के महानगर मुअनजो-दड़ो  की जल व्यवस्था से क्या प्रेरणा लीजा सकती है ?
भावी जल संकट से निपटने के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
४.मुअनजो-दड़ोके अजायबघर में कौन-कोन
सी वस्तुएँ प्रदर्शित थीं ?
५.सिंधु सभ्यता अन्य सभ्यताओं से किस
प्रकार भिन्न है ?
६.मुअनजो-दड़ोकी
प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
७. सिंधुघाटी की सभ्यता लो-प्रोफाइल है-स्पष्ट कीजिए ?
८. लेखक ने प्राचीन लैंडस्केप किसे
कहा है ?उसकी क्या विशेषता है?
९. ताम्रकाल के दो सबसे बड़े नियोजित
शहर किन्हें माना गया है और क्यों ?