घर की याद
भवानी प्रसाद मिश्र
हे सजीले हरे सावन,हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किन्तु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,
प्रश्न 1. कवि किसे और क्यों अपना संदेशवाहक बना रहा है?
उत्तरः- कवि सावन को अपना संदेशवाहक बना रहा है क्योंकि वह अपने घर और परिवार जनों से दूर जेल में है ताकि वह उन्हें संदेश और सांत्वना दे सके।
प्रश्न 2. कवि सावन को संदेशवाहक बनाकर किसके पास क्या संदेश देने के लिए भेज रहा है?
उत्तरः- कवि सावन को संदेशवाहक बनाकर अपना संदेश पिताजी के पास भेज रहा है कि वह जेल में आनंद पूर्वक है। उसे यहाँ कोई दुख नहीं है।
प्रश्न 3. जेल में कवि को वास्तव में क्या दुख है?
उत्तरः-जेल में कवि को वास्तव में यही दुख है कि वह अपने परिवार जनों से दूर जेल में है ; उसे घर और परिवार जनों का अभाव ही सबसे बड़ा अभाव है।
प्रश्न 4. कवि ने सावन को किस प्रकार संबोधित किया है?
उत्तरः- कवि ने सावन के महीने को पुण्यात्मा और दूसरे का उपकार करने वाले के रूप में
संबोधित किया है।
प्रश्न - निम्नलिखित पद्यांश का भाव सौन्दर्य एवं शिल्प सौन्दर्य लिखिए |