वचन
अक्क महादेवी
हे भूख! मत मचलप्यास, तड़प मत
हे नींद ! मत सता
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
हे मोह ! पाश अपने ढील
लोभ, मत ललचा
हे मद! मत कर मदहोश
ईर्ष्या, जला मत
ओ चराचर! मत चूक अवसर
आई हूँ संदेश लेकर चन्न मल्लिकार्जुन का
प्रश्न 1. अक्क महादेवी ने कौन सा संदेश दिया है?
उत्तरः- अक्क महादेवी ने इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का संदेश दिया है।
प्रश्न 2. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ किस प्रकार बाधक होती हैं?
उत्तरः- इंद्रियाँ सांसारिक विषय विकारों से किसी ने किसी रूप में जुड़ी हुई होती है, जिसके कारण ईश्वर भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 3. ‘‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’’ पंक्ति में निहित कवि के भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः- भारतीय दर्शन के अनुसार मानव-जन्म बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता है। भक्ति द्वारा जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कहतीं हैं।
प्रश्न 4. ईर्ष्या से ग्रस्त मानव क्या-क्या करता है?
उत्तरः- ईर्ष्या से ग्रस्त मानव दूसरों की प्रगति देखकर जलता है, बल्कि वह तो स्वयं अपने आप को भी जलाता है।
प्रश्न 5. कवयित्री ईश्वर को जूही के फूल के समान क्यों कह रही हैं?
उत्तरः- जूही के फूल बहुत छोटे, सुकुमार और मधुर सुगंध वाले होते हैं। इसी प्रकार ईश्वर भी अत्यंत सूक्ष्म, कोमल और मधुर गुण वाले होते हैं। जूही के फूल की तरह ईश्वर की सुगंध भी चहुँ ओर फैली है।
प्रश्न - निम्नलिखित पद्यांश का भाव सौन्दर्य एवं शिल्प सौन्दर्य लिखिए |